Home World News Vijay Mallya बोले – जेटली को बताया था जा रहा हूं, मैं भगोड़ा नहीं, मुझे चोर कहना गलत!

Vijay Mallya बोले – जेटली को बताया था जा रहा हूं, मैं भगोड़ा नहीं, मुझे चोर कहना गलत!

क्या विजय माल्या निर्दोष हैं? माल्या ने बैंक नहीं, बैंकों ने माल्या को लूटा?

By ION Bharat Desk
Vijay Mallya

Vijay Mallya Podcast: कभी ‘किंग ऑफ गुड टाइम्स’ टैग से मशहूर रहे शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) एक बार फिर चर्चा में हैं। लंबे समय से भारत से फरार और यूके में रह रहे माल्या ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में अपनी जिंदगी, किंगफिशर एयरलाइंस की सफलता से लेकर नाकामी तक और मौजूदा हालात पर खुलकर बात की है। विजय माल्या पर भारत के कई बैंकों से करीब 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। क्या विजय माल्या को जानबूझ कर बदनाम किया गया? क्या विजय माला निर्दोष हैं? क्या बैंक माल्या से जबरन पैसे वसूल रही है? और क्या किसी बड़े नेता ने माल्या को देश से भागने में मदद की? सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि विजय माल्या ने एक पॉडकास्ट किया है। जिसमे वो अपना पक्ष रखते हुए कई बड़ी बातें कर रहे हैं।

2 मार्च 2016, एक तारीख जो विजय माल्या की ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदलने वाली थी। वो दिन, जब उन्होंने जेनेवा में होने वाली FIA मीटिंग के लिए लंदन की उड़ान भरी। वो कहते हैं कि उन्होंने देश छोड़ने से पहले खुद भारत सरकार के तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली को सूचित किया। पर किसे पता था कि इस यात्रा का अंत नहीं होगा, बल्कि एक लंबा Deportation शुरू होगा। माल्या का कहना है कि उनके पासपोर्ट को अचानक रद्द कर दिया गया और वो लंदन में कैद हो गए। वो दावा करते हैं कि ये किसी तरह की भागने की योजना नहीं थी। मैं चोर नहीं हूं, वो कहते हैं, मुझे चोर कहना एक गुनाह है। इस बयान के पीछे छुपी कहानी 6,200 करोड़ रुपए के बैंक लोन फ्रॉड से जुड़ी है, जो ब्याज और जुर्माने के साथ 9,000 करोड़ को पार कर चुकी है। IDBI बैंक से 900 करोड़ के लोन डिफॉल्ट का आरोप भी है। नौ साल की चुप्पी के बाद, माल्या ने पहली बार यूट्यूबर राज शमानी के पॉडकास्ट में अपनी खामोशी तोड़ी। करीब चार घंटे की बातचीत में अपनी जिंदगी, बिजनेस, किंगफिशर एयरलाइंस, कर्मचारियों की बकाया तनख्वाह, और कानूनी जंग पर खुलकर बोले।

उन्होंने कांग्रेस शासनकाल में फाइनेंस मिनिस्टर रहे प्रणब मुखर्जी पर भी बात की। माल्या ने कहा 2008 का ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस उनके बिजनेस के लिए टर्निंग पॉइंट था। कच्चे तेल की कीमतें आसमान छूने लगी थीं, एविएशन फ्यूल महंगा हो गया था, और राज्य सरकारें भारी टैक्स लगा रही थीं। ऐसे हालात में एयरलाइन को संभालना मुश्किल हो गया। मैंने प्रणब मुखर्जी से कहा कि अब एयरलाइन को छोटा करना पड़ेगा, कुछ विमानों और कर्मचारियों को हटाना पड़ेगा क्योंकि ये हालात अब काबू में नहीं हैं। लेकिन उन्होंने कहा, नहीं, तुम इसे चलाते रहो। कनेक्टिविटी और नौकरियां जरूरी हैं। बैंक तुम्हें सपोर्ट करेंगे। माल्या ने कहा कि प्रणब मुखर्जी का दबाव और यह झूठा आश्वासन कि बैंक मदद करेंगे, उन्हें भारी पड़ा। नतीजा यह हुआ कि वह एयरलाइन चलाने पर मजबूर हुए, जबकि बैंकिंग सपोर्ट कभी मिला ही नहीं।

माल्या के अनुसार, इस सरकारी हस्तक्षेप ने उनके लिए परफेक्ट स्टॉर्म खड़ा कर दिया। माल्या ने ये भी साफ़ कहा कि उन्होंने कभी भी कर्ज लौटाने से इनकार नहीं किया। उन्होंने 2012 से 2015 के बीच चार बार सेटलमेंट ऑफर दिया, जिसमें उन्होंने 6,000 करोड़ से भी अधिक लौटाने का ऑफर दिया था। उन्होंने दावा किया की मैंने 5,000 करोड़ का ऑफर दिया था, फिर ब्याज और अन्य चार्जेज मिलाकर करीब 6,000 करोड़ की पेशकश की। लेकिन बैंकों ने इसे ठुकरा दिया क्योंकि वो 14,100 करोड़ वसूलना चाहते थे। अगर उस वक्त मेरा ऑफर स्वीकार कर लिया होता, तो वो आज इस मुद्दे से बाहर निकल चुके होते। माल्या यह भी कहते हैं कि बैंकों ने उनका कोई स्टेटमेंट नहीं दिया। ना ही यह स्पष्ट किया गया कि 14,000 करोड़ कैसे वसूले गए। उन्होंने कई बार SBI चेयरमैन और वित्त मंत्रालय को पत्र लिखे, पर जवाब नहीं मिला।

2024 में वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया कि ED ने माल्या की संपत्तियाँ बेचकर 14,131.66 करोड़ रुपए वसूल लिए, लेकिन उन्हें यह नहीं बताया गया कि कौन सी संपत्तियाँ बेची गईं और कैसे? माल्या ने फ्रस्ट्रेट होते हुए कहा कि अगर आपने मुझसे इतनी संपत्ति ले ली है, तो फिर मुझे चोर क्यों कहते हो?  इसके बाद उन्होंने विस्तार से बताया कि देश छोड़ने से पहले उन्होंने अरूण जेटली से मुलाकात की थी। विजय माल्या के अनुसार, 2 मार्च 2016 को वो FIA यानी Federation International de l Automobile की जेनेवा में होने वाली वर्ल्ड काउंसिल मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए लंदन रवाना हो रहे थे। इससे पहले उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली से संपर्क किया और उन्हें बताया कि वह भारत से बाहर जा रहे हैं। माल्या कहते हैं, मैंने अरुण जेटली को संसद में बताया कि मैं जेनेवा मीटिंग के लिए लंदन जा रहा हूं। मैंने उनसे कहा कि अगर बैंकों से मेरी सेटलमेंट की बात करवा दें, तो मैं तुरंत वापस आने को तैयार हूं। लेकिन इसके बाद मीडिया में बवाल मच गया। मुझे भगोड़ा घोषित कर दिया गया, जबकि मैं बाकायदा पासपोर्ट पर देश से निकला था। लेकिन सवाल उठता है की विजय माल्या बार-बार दावा करते हैं कि वो भगोड़े नहीं हैं और उन्होंने कभी भी भारत से भागने की योजना नहीं बनाई थी, वो ये भी दावा करते हैं कि उन्होंने CBI के सामने पेशी दी थी और ED को पत्र लिखकर समय मांगा था, लेकिन इसके बावजूद, उनके खिलाफ जल्दबाज़ी में कार्रवाई की गई। लेकिन इन बयानों के उलट, अदालत के रिकॉर्ड और उनके आचरण से यह साफ़ होता है कि माल्या ने भारतीय अदालतों से दूरी बनाए रखी।

2016 में जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पर्सनल अपीयरेंस के लिए बुलाया, तब तक वो भारत छोड़ चुके थे और बार-बार सुनवाई टालने के लिए कानूनी तकनीकी बहानों का सहारा लेते रहे। ED और CBI की कई समन और नोटिस के बावजूद, माल्या भारत लौटकर व्यक्तिगत तौर पर किसी कोर्ट में पेश नहीं हुए। 2017 में भारत की एक विशेष अदालत ने उन्हें घोषित अपराधी कहा और 2018 में उन्हें आधिकारिक रूप से भगोड़ा आर्थिक अपराधी यानी FEO करार दिया गया। यह देश के Fugitive Economic Offenders Act, 2018 के तहत पहला मामला था। इसके अलावा, विजय माल्या के कई सार्वजनिक और कानूनी बयान इस बात की ओर इशारा करते हैं कि वह भारत वापस आने को लेकर गंभीर नहीं थे।

2018 में लंदन की एक अदालत में प्रत्यर्पण की सुनवाई के दौरान उन्होंने दावा किया कि भारत में जेल की हालत INHUMAN है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वो भारत लौटने के इच्छुक नहीं थे, बल्कि वो कानूनी और मानवीय आधार पर प्रत्यर्पण को रोकना चाहते थे। एक ट्वीट में माल्या ने लिखा था, मैं भारत लौटकर जेल नहीं जाना चाहता। मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है, लेकिन मैं अपनी जिंदगी और इज्ज़त के लिए यूके में रहना बेहतर समझता हूं। मैं 1992 से UK की परमानेंट रेजिडेंसी रखता हूं और मेरा यहां रहना पूरी तरह वैध है। इन सब बयानों और अदालतों से लगातार गैरहाजिर रहने से यह साफ़ होता है कि विजय माल्या की फंसे होने वाली दलीलें आधी अधूरी हैं। उनके बयानों और बर्ताव में विरोधाभास है। एक ओर वो खुद को निर्दोष और देशभक्त साबित करने की कोशिश करते हैं, वहीं दूसरी ओर वो न्यायिक प्रक्रिया से लगातार बचते रहे, जिससे यह धारणा और मजबूत होती है कि उन्होंने सामना करने से जानबूझकर परहेज़ किया। जिस एयरलाइन पर इतना विवाद हुआ उसपर विजय माल्या कहते हैं की 2005 में बेटे सिद्धार्थ के 18वें जन्मदिन पर, माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस लॉन्च की। एक ऐसी एयरलाइन जो भारत में प्रीमियम फ्लाइंग का पर्याय बन गई। लेकिन 2008 का ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस उस सपने पर बिजली बनकर टूटा। माल्या ने अपने कर्मचारियों से उनकी सैलरी न दे पाने के लिए माफ़ी भी मांगी। माल्या ने कहा मैं कर्मचारियों से दिल से माफी मांगता हूं, माल्या की आंखों में आंसू छलक आए। उन्होंने बताया कि उनकी संपत्ति कोर्ट में फ्रीज थी। वो चाहते थे कि कर्नाटक हाई कोर्ट में जमा पैसे से सैलरी दी जाए, लेकिन बैंकों ने विरोध किया। मैंने हर मुमकिन कोशिश की, लेकिन मेरे हाथ बंधे थे। लेकिन सवाल वही है, क्या माल्या ने कोर्ट में हाजिर ना होकर सही किया? अगर माल्या सही थे तो ये सारी बातें उन्होंने कोर्ट में क्यों नहीं की? क्या कोर्ट पर माल्या को भरोसा नहीं है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब जबतक माल्या नहीं दे देते, या फिर जबतक माल्या कोर्ट में आ कर अपना पक्ष नहीं रखते, उन्हें शायद पूरी दुनिया भगोड़ा ही कहेगी।

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