Kejriwal फिर जाएंगे जेल या 15 हजार में लड़ेंगे Case?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की करारी हार ने उनकी राजनीतिक तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया है। जो एक समय में दिल्ली की सत्ता पर काबिज थे, आज वही केजरीवाल सत्ता से बाहर हो चुके हैं। लेकिन सत्ता परिवर्तन के साइड इफेक्ट्स क्या होते हैं, यह अब केजरीवाल को भुगतना पड़ रहा है। और इसका अंदाजा खुद केजरीवाल को भी है। तभी तो वह अब पंजाब की राजनीति में घुसने की कोशिश कर रहे हैं।

दिल्ली में हार के बाद केजरीवाल की स्थिति

दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल न केवल मुख्यमंत्री की कुर्सी से बाहर हुए, बल्कि वह विधायक भी नहीं बन सके। यह हार उनके लिए बड़ा झटका है। जब केजरीवाल मुख्यमंत्री थे, तो उन्हें 60 हजार रुपये की बेसिक सैलरी और भत्तों सहित कुल 1.25 लाख रुपये प्रति माह मिलते थे। इसके अलावा उन्हें सरकारी बंगला, गाड़ी और अन्य सुविधाएं भी मिलती थीं।

लेकिन अब केजरीवाल पूर्व मुख्यमंत्री बन चुके हैं। दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री को कोई सैलरी नहीं मिलती। हां, उन्हें पेंशन जरूर मिलती है। दिल्ली के पूर्व विधायक को 15 हजार रुपये प्रति माह पेंशन मिलती है। अगर कोई विधायक एक से ज्यादा बार चुनाव जीतता है, तो उसकी पेंशन में 1,000 रुपये की बढ़ोतरी होती है। लेकिन केजरीवाल इस बार चुनाव हार गए हैं, इसलिए उनकी पेंशन में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी।

पूर्व मुख्यमंत्री को मिलने वाली सुविधाएं

हालांकि, केजरीवाल को पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर कुछ सुविधाएं मिलेंगी। इनमें फ्री मेडिकल सुविधा, ट्रैवल अलाउंस (आधिकारिक यात्राओं के लिए), टेलीफोन और इंटरनेट अलाउंस शामिल हैं। साथ ही, उन्हें हाई लेवल सिक्योरिटी और एक सरकारी गाड़ी भी मिलेगी। इन सुविधाओं का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि पूर्व मुख्यमंत्री को राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने में कोई परेशानी न हो।

पंजाब की राजनीति में केजरीवाल की दिलचस्पी

दिल्ली में सत्ता खोने के बाद केजरीवाल अब पंजाब की राजनीति में दखल देने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर केजरीवाल को पंजाब की ओर क्या खींच रहा है? दरअसल, दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद केजरीवाल के लिए काली कमाई के सारे रास्ते बंद हो गए हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रहे केजरीवाल के पास अब बड़े स्तर के घोटालों के लिए कोई जरिया नहीं है।

केजरीवाल पर कई केस चल रहे हैं, जिन्हें लड़ने के लिए उन्हें मनु सिंघवी जैसे महंगे वकीलों की जरूरत है। इन वकीलों की फीस करोड़ों में है, और अब केजरीवाल के पास इतने पैसे नहीं हैं। यही कारण है कि वह पंजाब की राजनीति में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। केजरीवाल चाहते हैं कि पंजाब का पैसा उनके हाथ लग जाए, ताकि वह अपने केस सुरक्षित तरीके से लड़ सकें।

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