ABP News की धारदार पत्रकारिता की चर्चा जोरों पर, चैनल ने दिखाया अपना ओरिजनल रूप

ABP News

अभिषेक मेहरोत्रा

पहलगाम हमले को लेकर यूं तो मीडिया चैनलों पर तमाम स्पेशल कवरेज चल रही है, लेकिन ABP News के तेवर देखकर आज के दौर में पत्रकारिता के जिंदा होने का अहसास हो रहा है। खासकर, चित्रा त्रिपाठी, दिबांग और प्रतिमा मिश्रा अपने तीखे सवालों और जमीनी कवरेज से ABP को फिर उस मीडिया हाउस में तब्दील कर रहे हैं, जिसके लिए कभी इसकी पहचान होती थी। यही वजह है कि पहलगाम हमले पर सरकार से सवाल पूछते इन पत्रकारों के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं।

ABP शुरुआत से सत्ता-प्रतिष्ठान से सवाल पूछने के लिए पहचाना जानता था, हालांकि, बीच में चैनल की इस पहचान पर बदलाव के बादल दिखाई देने लगे थे, लेकिन अब उन बादलों के छंटने का मौसम फिर आ गया है। बीते कुछ समय से चैनल लगातार न केवल आमजन से जुड़े मुद्दे उठा रहा है, बल्कि सरकार से सवाल भी पूछ रहा है। सबसे पहले एबीपी न्यूज की ओर से जब उनके प्राइम टाइम शो की एंकर चित्रा त्रिपाठी पहलगाम पहुचीं, तो वहां एक वर्ग ने उनको ट्रोल करने की कोशिश की, पर जिस तरह चित्रा ने उनको जवाब दिया, वो आप नीचे ट्वीट के जरिए देख सकते हैं। जिस बोल्डनेस के साथ चित्रा ने इस स्थिति को संभाला, उसके बाद चित्रा के लिए #IStandWithChitratipathi ट्रेंड करने लगा, जिसता प्रत्यक्ष फायदा चैनल को मिला और एक वर्ग के साथ चित्रा की ये झड़प मिनटों में वायरल हो गई और एबीपी को इस दौरान दूसरे चैनलों की अपेक्षा कुछ लीड भी मिली।

पहलगाम हमले को लेकर तमाम ऐसे पहलू हैं, जिन पर सवाल पूछा जाना चाहिए लेकिन अधिकांश मीडिया हाउस केवल हमले के बाद की तैयारी का शोर फैलाकर यह दर्शाने में लगे हैं कि भारत पाकिस्तान का वजूद मिटा देगा। भारत कोई बड़ी कार्रवाई करके पाकिस्तान को सबक सिखाये, ये पूरा देश चाहता है, लेकिन इस चाहत में उन सवालों को पीछे छोड़ देना, जो 28 मौतों के कारण को उजागर कर सकते हैं, कितना जायज है? ऐसे की सवालों के साथ जब रात 8 बजे प्रतिमा मिश्रा ने कमान संभाली और सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए खालिस सवाल पूछे तो उनका वो विडियो चर्चा का विषय बना और उसके बाद से एबीपी न्यूज का परसेप्शन भी बदलने लगा। वैसे यहां ये भी गौरतलब है कि कुंभ के दौरान दिल्ली में हुई रेल दुघर्टना के बाद भी प्रतिमा ने जब रेल प्रशासन पर खरे सवाल दागे थे, तो उस दौरान भी उन्हें जनता का पूरा साथ मिला था।

ABP पहलगाम के मुद्दे पर अपनी तीखी पत्रकारिता से अपने असल मूल्यों पर वापस लौट रहा है। यह न केवल पत्रकारिता के लिए अच्छे संकेत हैं, लोगों के लिए भी उम्मीद की किरण है। देश की जनता केवल यह जानना नहीं चाहती कि पहलगाम हमले के बाद भारत क्या तैयारी कर रहा है, पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए उसकी रणनीति क्या है और पाकिस्तान में भारत को लेकर क्या खौफ है. उसे यह भी जानना है कि हमला क्यों हुआ, कैसे हुआ और किस वजह से हुआ? और सरकार से इसका जवाब पूछने की जिम्मेदारी मीडिया की बनती है। ABP इस जिम्मेदारी को बखूबी दिखाता नजर आ रहा है। चित्रा त्रिपाठी, दिबांग और प्रतिमा मिश्रा की तिकड़ी ने पत्रकारिता के प्रति देश की उम्मीद को जिंदा रहने वाला काम किया है। ऐसे में जब चैनल के सबसे वरिष्ठ पत्रकार दिबांग ने सर्वदलीय बैठक के बात अपनी जो व्यू प्रेजेंट किया, उसने भी दर्शकों को एक सोच दी, जिसको लेकर सोशल मीडिया बज्ज भी बना था।

चैनल के हाल ही इस तरह के जर्नलिज्म पर लौटने की बात पर एबीपी न्यूज के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट रजनीश आहुजा कहते हैं कि हम ओल्ड स्कूल पर जर्नलिज्म पर लौटे हैं, जो हमारी पहचान है। हम ग्राउंड रिपोर्टिंग पर फोकस कर पब्लिक के बीच मीडिया की क्रेडिबिलिटी को फिर से स्थापित करने के लिए उतर चुके हैं। हमारा न्यूजरूम तथ्यों के साथ रिपोर्ट पेश करने में जुटा है और हमारे रिपोर्टर्स, एंकर्स और डेस्क के साथी खबर और उसके वो एंगल जो पब्लिक को उस खबर के पूरे मायने तथ्यों के साथ समझाने के मूलमंत्र पर ही काम कर रहे हैं।

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