दीपिका पादुकोण का बॉलीवुड करियर और उनकी सार्वजनिक छवि हमेशा चर्चा का विषय रही है। 2020 में जब दीपिका ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में खड़े होकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया था, तो उनकी छवि एक राजनीतिक बयान के रूप में उभरी थी। इसके बाद उनकी फिल्म ‘छपाक’ को बॉयकॉट का सामना करना पड़ा और फिल्म ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया। अब, चार साल बाद, दीपिका वही अभिनेत्री हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में मंच साझा कर रही हैं और मानसिक स्वास्थ्य और एंग्जायटी जैसे मुद्दों पर चर्चा कर रही हैं। सवाल ये है कि दीपिका का ये बदलाव अचानक कैसे हुआ? क्या यह उनका वास्तविक सोच में बदलाव है, या फिर यह उनके करियर की एक रणनीति है?
पीएम मोदी के साथ मंच पर दीपिका पादुकोण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में दीपिका पादुकोण का शामिल होना एक बड़ा बदलाव है। इस कार्यक्रम में दीपिका के अलावा ओलंपिक पदक विजेता मैरीकॉम, अभिनेता विक्रांत मैसी, भूमि पेडनेकर और अन्य 12 हस्तियां भी शामिल होंगी। इन हस्तियों के साथ पीएम मोदी छात्रों से सीधे बातचीत करेंगे और उन्हें परीक्षा के तनाव और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित सुझाव देंगे। दीपिका पादुकोण, जो कभी सरकार के विरोध में खड़ी नजर आ रही थीं, अब पीएम मोदी के साथ मिलकर बच्चों को गाइडेंस देने और मानसिक तनाव से निपटने के बारे में बात कर रही हैं। यह बदलाव खासतौर पर चौंकाने वाला है क्योंकि दीपिका का पहले का समर्थन सरकार के विरोधी गतिविधियों से जुड़ा था, और अब वह पीएम मोदी के साथ मंच साझा कर रही हैं।
क्या दीपिका की सोच में बदलाव आया है?
दीपिका पादुकोण की यह नई भूमिका सवाल उठाती है कि क्या उन्होंने सच में अपनी सोच बदल ली है? क्या यह उनका व्यक्तिगत बदलाव है या फिर यह सिर्फ करियर को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश है? 2020 में जेएनयू में खड़े होकर दीपिका ने अपनी फिल्म ‘छपाक’ को प्रमोट किया था, लेकिन वहां उनकी उपस्थिति ने उन्हें विवादों में घसीट लिया था। उनके खिलाफ देशविरोधी गतिविधियों का आरोप लगा और उनकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही। शायद अब दीपिका को यह समझ आ गया है कि फिल्म इंडस्ट्री में अपनी सफलता को बनाए रखने के लिए उन्हें अपनी छवि और विचारों को फिर से परिभाषित करना होगा।
करियर को बचाने की रणनीति?
बॉलीवुड में किसी भी अभिनेता या अभिनेत्री का करियर उसकी छवि पर निर्भर करता है। दीपिका पादुकोण की ‘जेएनयू’ यात्रा और उसके बाद हुई आलोचनाओं ने उनकी ब्रांड वैल्यू को कमजोर किया था। उनके करियर के गिरते हुए ग्राफ को देखकर यह माना जा सकता है कि दीपिका अब अपने करियर को बचाने के लिए एक नया रास्ता अपना रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करना उनके लिए एक अच्छा अवसर हो सकता है, क्योंकि आज के समय में मोदी सरकार को जनता का बड़ी संख्या में समर्थन मिल रहा है। यह भी संभव है कि दीपिका को यह समझ में आया हो कि अपनी फिल्म इंडस्ट्री में सफलता और जनता का समर्थन पाने के लिए उनका पीएम मोदी के साथ एक सकारात्मक छवि बनाना जरूरी है।
क्या दीपिका का यह बदलाव वास्तविक है?
दीपिका पादुकोण के इस बदलाव को लेकर कई सवाल खड़े होते हैं। क्या यह उनके विचारों में वास्तविक बदलाव है, या फिर यह सिर्फ एक छवि सुधारने की कोशिश है? बॉलीवुड में किसी अभिनेता का करियर उसकी छवि और जनप्रियता पर निर्भर करता है, और दीपिका का यह बदलाव इसी परिपेक्ष्य में देखा जा सकता है। उन्होंने पहले अपनी छवि को एक विरोधी के रूप में स्थापित किया था, अब उन्हें इसे सकारात्मक दिशा में बदलने की जरूरत महसूस हो रही है। लेकिन क्या यह बदलाव केवल दीपिका के करियर की एक रणनीति है, या फिर उन्होंने सच में अपनी सोच बदल ली है, यह देखना बाकी है।
जनता दीपिका के इस बदलाव को स्वीकार करेगी?
दीपिका पादुकोण का यह बदलाव उनकी छवि को लेकर एक नया मोड़ ला सकता है, लेकिन क्या जनता इसे स्वीकार करेगी? दीपिका की छवि को लेकर पहले ही कई विवाद उठ चुके हैं, और उनका राजनीति से जुड़ा ऐतिहासिक विवाद अब तक लोगों की यादों में है। अब, जब वह पीएम मोदी के साथ खड़ी हैं, तो यह सवाल उठता है कि क्या जनता उनके इस बदलाव को स्वीकार करेगी। क्या उन्हें फिर से जनता का प्यार मिलेगा, या फिर यह सिर्फ एक रणनीति है?