खुले जंगल में टाइगर का दीदार करने का अपना एक अलग ही रोमांच है. जंगल के टेढ़े-मेढ़े रास्ते, चारों तरफ हरियाली और उसके बीच से झांकता टाइगर, यह दृश्य किसी को भी रोमांचित कर सकता है. अगर आप भी ऐसे ही नज़ारे को अपनी आंखों में कैद करने का सोच रहे हैं, तो हम यहां आपको देश के ऐसे 5 स्थानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां टाइगर यानी बाघ के दीदार की संभावना सबसे ज्यादा है.
Kanha National Park
मध्य प्रदेश के बालाघाट और मंडला जिले में फैला कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारत के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है. यहां टाइगर दिखने की संभावना काफी अधिक रहती है. गर्मी के मौसम में बाघ अक्सर प्यास बुझाने के लिए जल स्रोतों के करीब ही रहते हैं. ऐसे में उनके दीदार के चांस बढ़ जाते हैं.
Bandhavgarh National Park
बांधवगढ़ नेशनल पार्क भी मध्य प्रदेश में स्थित है. राज्य के उमरिया जिले में मौजूद इस पार्क को 1968 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था. यहां बड़ी संख्या में बाघ मौजूद हैं. खुले घास के मैदानों और पहाड़ी इलाकों के कारण गर्मियों में यहां बाघों को नदियों के किनारे या बांस के पेड़ों के नीचे आराम करते देखा जा सकता है. बांधवगढ़ नेशनल पार्क देश के प्रमुख और लोकप्रिय नेशनल पार्क में शामिल है.
Taboda Andhari Tiger Reserve
ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में स्थित एक वन्यजीव अभयारण्य है. यह महाराष्ट्र का सबसे पुराना और सबसे लोकप्रिय बाघ अभयारण्य है. ताडोबा को बाघों की भूमि के रूप में जाना जाता है और यहां बड़ी संख्या में टाइगर हैं. इसलिए पर्यटकों को बाघ के दीदार आसानी से हो जाते हैं. हालांकि, किसी भी नेशनल पार्क में इसकी कोई गारंटी नहीं रहती कि बाघ दिखेगा ही. सबकुछ बाघ की मर्जी पर निर्भर करता है.
Ranthambore National Park
राजस्थान का रणथंभौर नेशनल पार्क भी बाघों के लिए फेमस है. हाल ही में यहां बाघ द्वारा एक बच्चे पर हमले की घटना काफी सुर्खियों में रही थी. पार्क के अंदर एक प्राचीन किला भी है, जिसे रणथंभौर किला के नाम से जाना जाता है. यह गर्मियों के मौसम में घूमने की एक शानदार जगह है. बाघों को अक्सर दिन के उजाले में पैदल रास्तों पर या पदम और राजबाग जैसी झीलों के पास आराम करते हुए देखा जा सकता है.
Pench Nation Park
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में फैले पेंच नेशनल पार्क में बाघों की आबादी बहुत ज्यादा है. गर्मियों में बाघों के दीदार की संभावना अक्सर बढ़ जाती है, क्योंकि सूखी वनस्पति गुप्त रास्तों को उजागर करती है, जिससे सफारी में आसानी होती है. पर्यटकों को लेकर जीप जलाशयों के पास जा सकती हैं, जहां अक्सर बाघ आराम करते नजर आ जाते हैं. 1983 में इसे राष्ट्रीय उद्यान और 1992 में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था.