ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ऐसे देशों को सबक सिखाने में लगा है, जिनका झुकाव पाकिस्तान या चीन की तरफ ज्यादा है. हाल ही में सरकार ने तुर्की की दिग्गज कंपनी सेलेबी एविएशन के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए उसके सिक्योरिटी क्लीयरेंस को रद्द कर दिया है. अब बांग्लादेश के खिलाफ भी सरकार ने सख्ती दिखाई है. बांग्लादेश से आने वाले कई अहम उत्पादों के आयात पर नई पाबंदियां लागू की गई हैं. नए नियमों के अनुसार, बांग्लादेश से रेडीमेड गारमेंट्स का आयात अब केवल कोलकाता और न्हावा शेवा (महाराष्ट्र) स्थित समुद्री बंदरगाह से ही होगा.
इस छूट को भी लिया वापस
भारत सरकार के इस कदम को बांग्लादेश के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. वहीं, इस कदम से स्थानीय कंपनियों के चेहरे पर खुशी है. पिछले महीने की शुरुआत में भारत ने बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा को भी वापस लेने का ऐलान किया था. इस व्यवस्था के तहत बांग्लादेश को भारत के हवाई अड्डों और बंदरगाह के माध्यम से तीसरे देशों को अपना सामान भेजने की छूट मिली हुई थी. चलिए समझते हैं कि सरकार के इस फैसले का क्या प्रभाव पड़ेगा.
नियमों में क्या हुआ बदलाव?
ट्रेड नियमों में बदलाव के तहत लैंड पोर्ट से बंगलादेशी टेक्सटाइल के आयात पर अब प्रतिबन्ध है. केवल कोलकाता और न्हावा शेवा समुद्री बंदरगाह के माध्यम से ही इसकी अनुमति होगी. बांग्लादेश से असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम और पश्चिम बंगाल की जमीनी सीमा चेक पोस्ट के जरिए फल, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स जैसे उत्पादों का आयात भी प्रतिबंधित कर दिया गया है. प्रोसेस्ड फूड आइटम्स, जैसे बेकरी उत्पाद, स्नैक्स और कन्फेक्शनरी भी इन रूट्स से अब भारत में नहीं लाए जा सकेंगे. कॉटन और कॉटन यार्न वेस्ट, पीवीसी और प्लास्टिक के तैयार उत्पाद, लकड़ी के फर्नीचर आदि पर भी यही पाबंदी लागू होगी.
इस तरह लगेगा झटका
भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक रिश्ते भी हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 में दोनों देशों के बीच कुल 14 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था. इस दौरान बांग्लादेश ने भारत को लगभग 1.97 अरब डॉलर का सामान भेजा, जिसमें सबसे बड़ा निर्यात उत्पाद रेडीमेड गारमेंट है. बांग्लादेश की कुल निर्यात आय का करीब 83% हिस्सा रेडीमेड गारमेंट्स से ही आता है. अब ये कपड़े केवल कोलकाता और न्हावा शेवा बंदरगाह के जरिए ही भारत आ सकेंगे. एक अनुमान के मुताबिक, भारत सरकार के इस कदम से बांग्लादेश का 77 करोड़ डॉलर का आयात रुक जाएगा.
पड़ोसी को होगा भारी नुकसान
भारत में बंगलादेशी टेक्सटाइल की अच्छी डिमांड रहती है. बांग्लादेश से आने वाले रेडिमेड कपड़े पूर्वोत्तर राज्यों में भी काफी पसंद किए जाते हैं. इसके मद्देनजर पड़ोसी देश की कई कंपनियां इन राज्यों में निवेश की योजना बना रही थीं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि बांग्लादेश को रेडिमेड कपड़ों को अब लैंड पोर्ट के बजाए समुद्री मार्ग से भेजना होगा, जिससे लागत और समय दोनों बढ़ेंगे. लिहाजा, इससे भारत में उसका बाजार प्रभावित होगा. उनका यह भी कहना है कि यह बांग्लादेश के लिए बहुत बड़ा झटका है. क्योंकि उसके बाजार सीमित हैं और उत्पादों की विविधता भी अपेक्षाकृत कम है. इसके साथ ही बांग्लादेश भारत को जो उत्पाद भेजता है, उनमें से अधिकतर को विकसित देशों में नहीं भेजा जा सकता. लिहाजा, भारत के इस कदम से उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.
स्थानीय कंपनियों के लिए मौका
वहीं, सरकार के इस निर्णय से स्थानीय कंपनियों को फायदा होने की उम्मीद है. अभी उन्हें बंगलादेशी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था. खासकर, पंजाब, गुजरात और तमिलनाडु की कंपनियों को अधिक लाभ की संभावना है. भारत की KPR मिल का बांग्लादेश की RMG से सीधा मुकाबला रहा है. इसी तरह, पेज इंडस्ट्री, वेलस्पन इंडिया और वर्धमान टेक्सटाइल भी बंगलादेशी कंपनियों से परेशान रही हैं. अब उन्हें बाजार पर अपनी पकड़ मजबूत करने का मौका मिल गया है. इंडस्ट्री के जानकार मानते हैं कि बंगलादेशी टेक्सटाइल के आयात पर सख्ती से घरेलू कंपनियों के ऑर्डर बढ़ सकते हैं और उनके मार्जिन में भी सुधार देखने को मिल सकता है.
इसलिए नाराज है भारत
भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में पिछले समय से तल्खी बढ़ी है. खासकर, मोहम्मद युनूस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम के सरकार भारत विरोधी रुख से नई दिल्ली नाराज है. बांग्लादेश भारत विरोधी चीन के अधिक करीब पहुंच रहा है. उसने चीन के साथ 2.1 अरब डॉलर के नए समझौते भी किए हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि बंगलादेशी व्यवसाय को चोट पहुंचाने वाला कदम उठाकर भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसके विरोधियों का साथ देने वालों के साथ वह मजबूत कारोबारी संबंध रखने में सहज नहीं है.