नेशनल हेराल्ड केस में पूर्व कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगाए हैं। जांच एजेंसी की सक्रियता के चलते गांधी परिवार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। बीते बुधवार को यंग इंडियन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विशेष अदालत में सुनवाई हुई, जहां ईडी ने आरोप लगाया कि गांधी परिवार ने नेशनल हेराल्ड से जुड़ी एजेएल (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) की संपत्तियों का अवैध अधिग्रहण किया।
ईडी के अनुसार, सोनिया और राहुल गांधी पर 142 करोड़ रुपये की गैरकानूनी राशि प्राप्त करने का आरोप है। जांच में यह भी सामने आया कि कांग्रेस नेताओं ने धोखाधड़ी के जरिए 755 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां अवैध रूप से हड़पीं। मामले में ईडी ने संपत्तियों को जब्त कर कानूनी प्रक्रिया तेज कर दी है।
साल 2010 में बनाई गई यंग इंडियन कंपनी में सोनिया और राहुल की कुल 76% हिस्सेदारी थी। बताया जा रहा है कि उन्होंने ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी (AICC) से 90 करोड़ रुपये का लोन लेकर उसे यंग इंडियन की इक्विटी में दिखाया। इसके बाद मात्र 50 लाख रुपये में एजेएल की करोड़ों की संपत्ति पर उनका नियंत्रण हो गया। ईडी ने इसे सुनियोजित घोटाला करार दिया है और तीन स्तरों पर अपराध से अर्जित आय की श्रेणी में रखा है।
ईडी की जांच में सामने आया है कि इस घोटाले में 18.12 करोड़ रुपये के फर्जी चंदे, 38.41 करोड़ रुपये का फर्जी अग्रिम किराया, और 29.45 करोड़ रुपये की गैर-व्यावसायिक विज्ञापन आय जैसे गंभीर वित्तीय अनियमितताएं भी शामिल हैं। इन सभी को मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी का हिस्सा बताया गया है।
सोनिया गांधी पर अपने पद का दुरुपयोग कर कांग्रेस का धन निजी कंपनी में ट्रांसफर कराने और एजेएल की संपत्ति पर अवैध कब्जा जमाने का आरोप है। जांच एजेंसी ने उनके व्यवहार को भ्रमित करने वाला और भ्रामक बताया है।
वहीं राहुल गांधी पर भी गंभीर आरोप हैं। उन पर यंग इंडियन में 38% हिस्सेदारी के जरिए एजेएल के कर्ज को इक्विटी में बदलने की योजना का नेतृत्व करने का आरोप है। ईडी का कहना है कि राहुल ने खुद को बचाने के लिए दिवंगत मोतीलाल वोरा पर दोष डालने की कोशिश की, जो न केवल अनैतिक है बल्कि उनके संलिप्तता को और स्पष्ट करता है।
अब तक ईडी ने इस मामले में कुल 751.91 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं, जिसकी पुष्टि 10 अप्रैल 2024 को हुई। मामला वर्तमान में अपीलेट ट्रिब्यूनल में विचाराधीन है, लेकिन जानकारों का मानना है कि इस बार गांधी परिवार के लिए कानूनी शिकंजे से निकलना आसान नहीं होगा।