पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर भड़की हिंसा को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। Calcutta High Court द्वारा गठित तीन सदस्यीय फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट ने राज्य सरकार, पुलिस प्रशासन और तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेताओं की भूमिका को कठघरे में खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट में सामने आए तथ्य न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि हिंसा एक सोची-समझी साजिश थी, जिसमें सत्ता पक्ष के लोग सक्रिय रूप से शामिल थे।
क्या कहती है हाई कोर्ट की रिपोर्ट?
हाई कोर्ट की समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 11 अप्रैल को हुई हिंसा में TMC के स्थानीय पार्षद महबूब आलम और स्थानीय विधायक अमिरुल इस्लाम दंगाइयों के साथ मौके पर मौजूद थे। रिपोर्ट के मुताबिक, यह हिंसा सुनियोजित थी। पीड़ितों को निशाना बनाकर उनके घरों और संपत्तियों को योजनाबद्ध तरीके से नुकसान पहुंचाया गया।
रिपोर्ट में एक घटना का जिक्र किया गया है, जिसमें दंगाइयों ने एक परिवार की महिलाओं के कपड़ों पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी, जिससे उनके पास पहनने के लिए कुछ भी न बचे। इस अमानवीयता ने पूरे घटनाक्रम की भयावहता को और बढ़ा दिया।
पुलिस और प्रशासन बने रहे मूकदर्शक
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस हिंसा के दौरान पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय रही। पीड़ितों ने समिति को बताया कि पुलिस ने उनकी कोई मदद नहीं की और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। जब लोग सुरक्षा की गुहार लगा रहे थे, तब पुलिस ने न केवल आंखें मूंदी रखीं, बल्कि ऐसा लगने लगा कि वह सत्ता पक्ष की शह पर काम कर रही हो।
टीएमसी और ममता बनर्जी की भूमिका पर सवाल
हाई कोर्ट की रिपोर्ट से पहले तक तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हिंसा के लिए ‘बाहरियों’ और सीमा सुरक्षा बल (BSF) को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश कर रहे थे। कुछ आरोप BJP और केंद्रीय बलों पर भी लगाए गए थे। लेकिन अब रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस हिंसा में TMC नेताओं की सीधी संलिप्तता थी और राज्य प्रशासन ने उन्हें खुली छूट दी थी।
BJP का हमला, ममता सरकार पर उठे सवाल
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने ममता सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि “यह रिपोर्ट TMC सरकार की हिंदू विरोधी क्रूरता को उजागर करती है। ममता बनर्जी की सरकार अब इस हिंसा से मुंह नहीं मोड़ सकती।”
अब क्या?
अब जब जांच रिपोर्ट ने सत्ताधारी दल, राज्य पुलिस और प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है, तो ममता बनर्जी सरकार पर जवाबदेही तय करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। विपक्षी दल जहां मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, वहीं जनता भी जानना चाहती है कि आखिर उनके रक्षक ही भक्षक कैसे बन गए।
मुर्शिदाबाद की यह रिपोर्ट न केवल बंगाल की राजनीति के लिए, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के लिए भी एक चेतावनी है। अब देखना होगा कि कोर्ट की इस रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार पर क्या कानूनी और राजनीतिक कार्रवाई होती है।