पटना। साल 2020 में अपनी राजनीतिक रणनीति से सबको चौंकाने वाले चिराग, एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं। उनके हालिया बयान “बिहार मुझे पुकार रहा है” ने न केवल राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि यह स्पष्ट संकेत भी दिया है कि अब चिराग खुद को सिर्फ़ सांसद नहीं, बल्कि संभावित मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।
तीन बार के लोकसभा सांसद और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान का यह बयान महज़ एक भावुक अपील नहीं, बल्कि एक राजनीतिक इरादे का ऐलान माना जा रहा है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि अगर पार्टी निर्देश दे, तो वे विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार हैं। हालांकि यह भी जगजाहिर है कि पार्टी की कमान उन्हीं के हाथ में है, ऐसे में यह बयान उनकी अगली रणनीति की ओर इशारा करता है।
दिल्ली से पटना की ओर बढ़ते कदम
चिराग पासवान की राजनीति अब दिल्ली के गलियारों से निकलकर बिहार की सत्ता के गलियारों की ओर बढ़ती दिख रही है। अपने पिता और दिग्गज नेता रामविलास पासवान की विरासत को आगे बढ़ाते हुए चिराग अब खुद को राज्य की राजनीति के केंद्र में लाने के प्रयास में हैं। उनका कहना है कि बिहार के युवाओं को रोज़गार की तलाश में बाहर न जाना पड़े, इसके लिए उन्हें राज्य में रहकर काम करना चाहिए। यह सोच दर्शाती है कि चिराग अब “विकास” और “स्थानीय नेतृत्व” के नए एजेंडे के साथ मैदान में उतरने को तैयार हैं।
एनडीए में प्रमुख भूमिका की ओर
2024 के लोकसभा चुनाव में एलजेपी (रामविलास) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सात में से सात सीटें जीतकर सबको चौंका दिया। यह प्रदर्शन इस बात का संकेत था कि चिराग पासवान का जनाधार न केवल बरकरार है, बल्कि और भी मजबूत हुआ है। अब वे इस समर्थन को विधानसभा चुनाव में भी भुनाने की तैयारी में हैं। उन्होंने दावा किया है कि एनडीए इस बार 225 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करेगा। साथ ही, उन्होंने खुद को गठबंधन का चेहरा बनाने की ओर भी कदम बढ़ा दिए हैं।
मुख्यमंत्री पद की ओर बढ़ते इरादे
चिराग पासवान का आत्मविश्वास अब किसी से छिपा नहीं है। उन्होंने संकेत दिया है कि वह केवल गठबंधन का हिस्सा नहीं, बल्कि उसके निर्णायक नेता बनना चाहते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनके रिश्तों में आई नजदीकी भी इसी ओर इशारा करती है। 2020 के चुनावों में नीतीश से टकराव की स्थिति बनने के बाद, अब चिराग खुलकर कहते हैं कि उनके और नीतीश के बीच संवाद की स्थिति है, और वे हर मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार हैं।
राष्ट्रीय मुद्दों पर भी मुखर
चिराग पासवान केवल राज्य की राजनीति तक सीमित नहीं रहना चाहते। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर उनकी सख्त प्रतिक्रिया और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर उनका स्पष्ट रुख, उन्हें भाजपा के राष्ट्रवादी एजेंडे के करीब लाता है। यह रणनीति उन्हें न केवल भाजपा के साथ मजबूत संबंध बनाने में मदद करती है, बल्कि मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी मजबूती प्रदान करती है।