दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता खोने के बाद अब पंजाब की राजनीति में सक्रिय होने की कोशिश शुरू कर दी है। दिल्ली में चुनावी हार के बाद केजरीवाल पंजाब में डेरा डाले हुए हैं और वहां की सरकार के कामकाज में दखल देने लगे हैं। उनकी यह चाल सवाल खड़ा कर रही है कि क्या केजरीवाल अब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की कुर्सी पर नज़र गड़ाए बैठे हैं?
दिल्ली से पंजाब तक: केजरीवाल की राजनीतिक यात्रा
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभाला, लेकिन 2023 के चुनाव में उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद केजरीवाल ने दिल्ली की राजनीति से दूरी बना ली और पंजाब में सक्रिय हो गए। उन्होंने पंजाब में मोहल्ला क्लीनिक और नशा मुक्ति अभियान जैसे प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देने का दावा किया है।
भगवंत मान की कुर्सी पर नज़र?
केजरीवाल की गतिविधियों से यह साफ़ ज़ाहिर हो रहा है कि उनकी नज़र पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की कुर्सी पर है। वे पंजाब में घूम-घूमकर यह दावा कर रहे हैं कि उनके आने के बाद ही वहां काम शुरू हुआ है। इससे यह संदेश जा रहा है कि भगवंत मान की सरकार पहले कुछ नहीं कर रही थी।
केजरीवाल की ‘सुपर सीएम’ बनने की कोशिश
केजरीवाल ने पंजाब में अपने विश्वासपात्र नेताओं को तैनात कर दिया है। दिल्ली कैबिनेट के पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को पंजाब के कामकाज की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। इससे यह साफ़ है कि केजरीवाल पंजाब में ‘सुपर सीएम’ की भूमिका निभाना चाहते हैं।
पंजाब की जनता क्या कहती है?
पंजाब की जनता के सामने अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वे एक गैर-सिख मुख्यमंत्री को स्वीकार करेंगे? पंजाब की राजनीति में सिख नेतृत्व का गहरा प्रभाव रहा है, और केजरीवाल की यह चाल उल्टी भी पड़ सकती है।
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता खोने के बाद पंजाब को अपनी नई राजनीतिक कर्मभूमि बनाने का फैसला किया है। हालांकि, उनकी यह चाल कितनी सफल होगी, यह तो समय ही बताएगा। पंजाब की जनता और राजनीतिक परिदृश्य केजरीवाल के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।