कर्नाटक सरकार ने हाल ही में विधायकों और विधान परिषद के सदस्यों की सैलरी में 100% की वृद्धि करने का फैसला लिया है। यह कदम उस समय उठाया गया है जब राज्य में बुनियादी ढांचे, बेरोजगारी और किसानों की समस्याएं गंभीर बनी हुई हैं। इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश में भी विधायकों और मंत्रियों को भारी भत्ते और सुविधाएं मिलती हैं। यह स्थिति इस ओर इशारा करती है कि जनता के हितों की बजाय नेताओं के हितों को प्राथमिकता दी जा रही है।
कर्नाटक में विधायकों की सैलरी में वृद्धि
कर्नाटक सरकार ने विधायकों और विधान परिषद के सदस्यों की सैलरी में 100% की वृद्धि की है। इसके तहत उनकी मासिक सैलरी 40,000 रुपये से बढ़कर 80,000 रुपये हो गई है। इसके अलावा, यात्रा भत्ता, चिकित्सा भत्ता, टेलीफोन चार्ज और अन्य सुविधाओं में भी भारी वृद्धि की गई है। उदाहरण के लिए, यात्रा भत्ता 1 लाख से बढ़कर 2 लाख रुपये हो गया है, जबकि चिकित्सा भत्ता 2,500 से बढ़कर 10,000 रुपये हो गया है।
उत्तर प्रदेश में विधायकों और मंत्रियों की सैलरी
उत्तर प्रदेश में विधायकों को मासिक 1.87 लाख रुपये का पैकेज मिलता है। इसमें मूल वेतन, क्षेत्र भत्ता, चिकित्सा भत्ता और अन्य सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रति माह 3.65 लाख रुपये का वेतन मिलता है, जबकि अन्य मंत्रियों को 2 से 2.5 लाख रुपये के बीच सैलरी मिलती है। इसके अलावा, उन्हें सरकारी घर, गाड़ी, सुरक्षा और यात्रा भत्ता जैसी सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं।
जनता की समस्याएं और सरकार की प्राथमिकताएं
जबकि कर्नाटक और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, सरकारें विधायकों और मंत्रियों की सैलरी बढ़ाने में व्यस्त हैं। कर्नाटक में सड़कें टूटी हुई हैं, बेरोजगारी चरम पर है और किसानों को राहत की जरूरत है। उत्तर प्रदेश में भी हालात कमोबेश ऐसे ही हैं। ऐसे में, जनता के हितों की बजाय नेताओं के हितों को प्राथमिकता देना चिंताजनक है।
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