
आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक ऐसी कहानी जो आपको सिखाएगी कि अच्छाई का दामन और भलाई की नियत कभी नहीं छोड़नी चाहिए, क्योंकि आपकी नेकदिली हमेशा आपकी मदद करती है।
कहानी शुरू होती है एक गांव से, जहां सिद्धार्थ नाम का एक ग़रीब लड़का रहता था। वह बहुत दिनों से नौकरी के लिए कठिन परिश्रम कर रहा था और आखिरकार वो दिन आ गया जब उसकी नौकरी लग गई। सिद्धार्थ की नौकरी जिस स्कूल में लगी, वो स्कूल उसके घर से बहुत दूर था। पैसे नहीं होने की वजह से वो रोज पैदल स्कूल जाता था। वो सोचता था कि- अगर उसके पास पैसे होते तो वो एक मोटर साइकिल खरीद लेता, तो उसे स्कूल आने-जाने में परेशानी नहीं होती। इसी विचार से नौकरी करते हुए वो एक-एक पैसे बचाने लगा।
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काफी दिनों बाद जब सिद्धार्थ के पास पैसे जमा हो गए तो उसने एक पुरानी मोटर साइकिल खरीदी और उसी मोटर साइकिल से वो स्कूल जाने लगा। स्कूल आने-जाने के दौरान सिद्धार्थ किसी न किसी पैदल चलते राहगीर को अपनी मोटर साइकिल पर बिठा लेता। सिद्धार्थ ने ये नियम बना लिया था, वो रोज किसी पैदल चलते मुसाफिर को अपनी बाइक पर बिठाता और उसे उसके गंतव्य तक छोड़ देता। सिद्धार्थ की ये आदत उसकी ज़िंदगी का हिस्सा बन गया और वो किसी न किसी पैदल चल रहे राहगीर की मदद जरुर करता।
ऐसा करते-करते काफी दिन बीत गए। इसी दौरान एक दिन सिद्धार्थ जब स्कूल से लौट रहा था। तभी उसे रास्ते में एक शख्स अकेला पैदल चलता नज़र आया और रोज की तरह उसने उस शख्स को अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा लिया। कुछ दूर चलने के बाद जब सुनसान इलाका आया, तब पीछे बैठे शख्स ने पीछे से सिद्धार्थ की पीठ पर चाकू लगा दिया और मोटर साइकिल को साइड में रोकने के लिए कहा। उस शख्स के कहने के मुताबिक सिद्धार्थ ने मोटर साइकिल सड़क के किनारे रोक दी। इसके बाद उस शख्स ने सिद्धार्थ से कहा कि- वो मोटर साइकिल को यहीं छोड़कर चला जाए।
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शख्स के हाथ में बड़ा सा चाकू देखकर डरे-सहमे सिद्धार्थ ने वही किया। वो अपनी मोटर साइकिल को किनारे लगाकर वहां से पैदल गांव की तरफ चल निकला। इस दौरान सिद्धार्थ बहुत उदास था। वो पैदल चलते हुए सोच रहा था कि- उसने जब से मोटर साइकिल खरीदी थी, किसी न किसी की मदद करता आ रहा था और इसी मदद की आदत ने उसकी मोटर साइकिल छीन ली। उदास और भारी मन से सिद्धार्थ अपने घर पहुंचा और खाना-पीना खाकर सो गया।
अगली सुबह जब वो उठा और घर से बाहर निकला, तो उसने देखा कि- उसके दरवाजे के बाहर उसकी मोटर साइकिल खड़ी है। साथ में उस मोटर साइकिल की सीट पर एक चिट्ठी पत्थर से दबाकर रखी थी। सिद्धार्थ वो चिट्ठी पढ़ने लगा। चिट्ठी में लिखा था, मास्टर साहब मेरी वजह से आपको जो तकलीफ हुई, उसके लिए माफी चाहता हूं। मैं आपकी मोटर साइकिल लेकर जहां भी गया, हर जगह लोगों ने मुझसे पूछा मास्टर साहब की मोटर साइकिल लेकर कहां जा रहे हो। मास्टर साहब ने इस मोटर साइकिल पर कई बार मुझे लिफ्ट दिया है। इस तरह से सभी लोगों को पता चल गया कि- मैंने आपकी मोटर साइकिल चुराई है। मैं आपको आपकी मोटर साइकिल लौटा रहा हूं, हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजिएगा।
इस चिट्ठी को पढ़ने के बाद सिद्धार्थ बहुत खुश हुआ और उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया और उसे विश्वास हो गया कि- अच्छे काम का हमेशा अच्छा नतीजा होता है। तो इस छोटी सी कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि- जितना संभव हो सके, हमेशा लोगों की मदद करते रहना चाहिए और भगवान ऐसे नेक दिल इंसान की हमेशा मदद करता है।
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