Home National News Kejriwal के ‘Sheesh Mahal’ के साथ क्या करेगी Modi सरकार? Delhi CM Rekha Gupta ने दिए 4 सुझाव

Kejriwal के ‘Sheesh Mahal’ के साथ क्या करेगी Modi सरकार? Delhi CM Rekha Gupta ने दिए 4 सुझाव

दिल्ली सरकार ने केजरीवाल के बनाए बंगले को लेकर केंद्र को दिए 4 बड़े प्रस्ताव

By ION Bharat Desk
Sheesh Mahal

Kejriwal’s Sheesh Mahal Controversy: पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के विवादित सरकारी आवास को लेकर दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने केंद्र सरकार (Central Government) को चार बड़े विकल्प सुझाए हैं। क्या अब ‘शीश महल’ कहलाने वाला ये बंगला नीलाम होगा? या फिर बनेगा VIP गेस्ट हाउस? आइए जानते हैं पूरी कहानी।

दिल्ली के 6 फ्लैगस्टाफ रोड पर स्थित इस सरकारी बंगले को लेकर अब नई चर्चा शुरू हो गई है…ये वह बंगला है जिसे केजरीवाल (Kejriwal) ने मुख्यमंत्री (CM) रहते हुए इस्तेमाल किया और जहां पर कथित तौर पर करोड़ों की लागत से नवीनीकरण का काम किया गया था। दिल्ली में रेखा गुप्ता (CM Rekha Gupta) सरकार ने अब केंद्र सरकार को कथित शीश महल को लेकर चार प्रस्ताव भेजे हैं…

पहला प्रस्ताव

आधिकारिक VIP स्टेट गेस्टहाउस बने

दूसरा प्रस्ताव

उपराज्यपाल का नया आवास बना दिया जाए

LG हाउस को CM आवास घोषित किया जाए

तीसरा प्रस्ताव

‘शीश महल’ केंद्र सरकार को सौंप दिया जाए

बदले में केंद्रीय पूल से सरकारी मकान मिले

चौथा प्रस्ताव

बंगले की खुले बाजार में नीलामी की जाए

इस बंगले को लेकर सियासत तब गर्म हुई जब बीजेपी ने इसे ‘शीश महल’ (Sheesh Mahal) कहकर AAP पर हमला बोला। आरोप लगा कि आम आदमी पार्टी ने करोड़ों खर्च कर सादगी छोड़ दी है। चुनावी रैलियों में बीजेपी ने इस बंगले की मिनिएचर मॉडल की कॉपी भी गाड़ियों पर लगाकर प्रचार किया। 2022 में उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के आदेश पर इस बंगले की लागत और निर्माण में हुई अनियमितताओं की जांच भी शुरू की गई थी। PWD ने इसका ऑडिट किया और अंदर की महंगी सजावट की सूची तैयार की। पीडब्ल्यूडी की तरफ से जारी सूची में साल 2022 में जो सामान बंगले में उपलब्ध करवाया था और 2024 में केजरीवाल द्वारा बंगला खाली किये जाने के बाद, पीडब्ल्यूडी ने जब इन्वेंटरी की लिस्ट बनाई तो पाया कि वहां उपलब्ध सामान उनके द्वारा उपलब्ध करवाये गए सामान से बहुत ज्यादा था। लग्जरी और महंगी टायलेट सीट्स से लेकर महंगे वॉश बेसिन तक, रिक्लाइनिंग सोफों से लेकर महंगे पर्दों तक, महंगे गलीचों से लेकर बेशकीमती टीवी सेट्स और रेफ्रिजरेटर तक जैसे आइटम्स एक्स्ट्रा थे। जिन्हें पीडब्ल्यूडी ने उपलब्ध नहीं करवाया था। तब विपक्ष में रही भाजपा ने सवाल उठाया था कि अगर पीडब्ल्यूडी ने यह सामान नहीं दिया तो फिर ये समान किस ने दिया वो कौन-कौन लोग थे?

तब के नेता प्रतिपक्ष और वर्तमान में दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा था कि भाजपा ने 12-12 लाख की जिन टॉयलेट कमोड का खुलासा किया था। दरअसल वो लाखों की नहीं बल्कि करोड़ों रुपयों की रिश्वत से बनवाई गई थी क्योंकि इस भव्य शौचालय में सोने की परत वाली टॉयलेट और वॉश बेसिन तक लगी हुई थीं। उपराज्यपाल को लिखे पत्र में विजेंद्र गुप्ता ने इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी।

विजेंदर गुप्ता ने एलजी को लिखे पत्र में कहा कि- कोरोना महामारी के दौरान करोड़ों रुपये खर्च कर इस आवास की मरम्मत करवाई गई। भाजपा इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाती रही है। विधानसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बना था, सतर्कता आयोग के निर्देश पर सीपीडब्ल्यूडी इस मामले की जांच में शामिल है। मुख्यमंत्री आवास के जीर्णोद्धार की योजना, टेंडर में अनियमितता के गंभीर आरोप लगे हैं। CAG की रिपोर्ट में भी नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कार्य कराए जाने की बात कही गई है। PWD विभाग ने साल 2020 में 7.91 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव तैयार किया था। लेकिन इस कार्य को इससे 13.21 फीसदी अधिक यानी 8.62 करोड़ में आवंटित किया गया। बाद में इस काम को इससे 342.31 फीसदी अधिक यानी 33.66 करोड़ रुपये खर्च कर पूरा किया गया।

रिपोर्ट्स के अनुसार, ऑडिटर को यह नहीं बताया गया कि पीडब्ल्यूडी ने किस आधार पर इस काम के लिए तीन कंसल्टेंसी एजेंसियों का चयन किया। कंसल्टेंसी एजेंसी को ज़्यादा पैसे भी दिए गए। ठेकेदारों को काम आवंटित करते समय उनकी वित्तीय स्थिति, संसाधन और अनुभव को ध्यान में नहीं रखा गया। ठेकेदार का चयन मनमाने तरीके से किया गया। निर्मित क्षेत्रफल 1397 वर्ग मीटर से बढ़ाकर 1905 वर्ग मीटर कर दिया गया। साथ ही मुख्यमंत्री आवास की साज-सज्जा पर 18.88 करोड़ रुपये खर्च किए गए। मुख्यमंत्री आवास में कैंप कार्यालय और स्टाफ क्वार्टर बनाने के लिए आवंटित 19.87 करोड़ रुपये का इस्तेमाल दूसरे कामों में किया गया। इस कारण कैंप कार्यालय का सिर्फ कच्चा ढांचा ही बन पाया। स्टाफ क्वार्टर के लिए पैसा आवंटित हुआ, लेकिन उसका निर्माण नहीं किया गया।

भाजपा का दावा है कि कैग रिपोर्ट में शीश महल को लेकर 139 सवाल उठाए गए हैं। शीश महल का निर्माण दिल्ली शहरी कला आयोग और नगर निगम की अनुमति के बिना किया गया है। कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 तक का खर्च 33.66 करोड़ रुपये है।

इसके बाद का खर्च मिला दिया जाए तो यह 80 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। बीजेपी का कहना है कि कैग रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री को बहुत बड़ा बंगला आवंटित किया गया। मरम्मत के काम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया गया, ताकि उपराज्यपाल की अनुमति की जरूरत न पड़े।

भाजपा ने पिछले साल 9 दिसंबर को एक वीडियो जारी कर दावा किया था कि शीश महल में 80 करोड़ रुपये के पर्दे, 64 लाख रुपये के 16 टीवी, 10 लाख रुपये का सोफा, 9 लाख रुपये का फ्रिज, 22.5 लाख रुपये का गीजर, 15 करोड़ रुपये के वाटर सप्लाई और सेनेटरी फिटिंग्स, 12 लाख रुपये की गोल्ड प्लेटेड टॉयलेट सीटें लगाई गईं। यह भी आरोप लगाया गया है कि इनमें से कई सामान गायब हो गए हैं।

शीश महल मामला मई 2023 में तब सामने आया था जब उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी। फिलहाल बंगले की चाबी PWD के पास है, केजरीवाल के इस्तीफे के बाद इसे खाली कर दिया गया है और अब इसका भविष्य केंद्र के निर्णय पर टिका है। तो क्या शीश महल अब गेस्ट हाउस बनेगा या खुले बाजार में बिकेगा? आपकी राय क्या है? नीचे कमेंट ज़रूर करें।

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