Home National News UP Politics: CM Yogi ने कैसे निकाली सपा के PDA की काट? महापुरुषों के नाम पर योजनाएं शुरू!

UP Politics: CM Yogi ने कैसे निकाली सपा के PDA की काट? महापुरुषों के नाम पर योजनाएं शुरू!

BJP की नई चाल से फेल हो जाएगा Akhilesh Yadav का PDA फार्मूला?

By ION Bharat Desk
CM Yogi UP Politics

UP Politics: क्या योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का जातीय खेल पलटने का प्लान बना लिया है। क्या अब अखिलेश का पीडीए (PDA) फार्मूला फेल हो जायेगा, और योगी (CM Yogi) की नयी चल से समाजवादी पार्टी की नींद उड़ गयी है।  2024 में अखिलेश यादव ने जब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक यानी पीडीए का नारा बुलंद किया, तब लगा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में सत्ता का समीकरण बदल चुका है। समाजवादी पार्टी को लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित सफलता मिली, और बीजेपी बैकफुट पर दिखी। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। 2027 से पहले बीजेपी ने ऐसा वार किया है, जो सीधे अखिलेश यादव के पीडीए फॉर्मूले पर पड़ा है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी ने जातियों में बंटे हिंदू समाज को महापुरुषों के नाम पर जोड़ने का ऐसा चक्रव्यूह रच डाला है, जिसमें सपा की रणनीति फंसती नजर आ रही है। अब सवाल ये नहीं कि पीडीए कितना मज़बूत है… सवाल ये है कि क्या अखिलेश का PDA बीजेपी के सांस्कृतिक समरसता मॉडल के सामने टिक पाएगा ?

हिंदुत्व के एजेंडे को धार देंगे CM Yogi!

उत्तर प्रदेश (UP) की सियासत एक बार फिर गरमाई हुई है। भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी आमने-सामने हैं। सपा जहां अपने पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक फॉर्मूले पर दांव लगा रही है, वहीं बीजेपी ने अब उसे काउंटर करने के लिए एक नई रणनीति बनाई है, जो हिंदुत्व और सांस्कृतिक गौरव के इर्द-गिर्द घूमती है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को तगड़ा झटका दिया था। यूपी में सपा को 37 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी महज 33 सीट पर सिमट गई। इसके बाद बीजेपी हरकत में आई और अब योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में एक नया एक्शन प्लान तैयार किया गया है। योगी बाबा ने साफ कहा हमारा उद्देश्य है पूरे हिंदू समाज को एकजुट करना। हम अपने महापुरुषों का सम्मान कर समाज को जागरूक कर रहे हैं, बीजेपी की रणनीति साफ है जातियों में बंटे हिंदू समाज को महापुरुषों के नाम पर योजनाएं शुरू कर एक मंच पर लाना।

योगी मनाएंगे सुहेलदेव विजय दिवस

इसी कड़ी में बहराइच में 10 जून को सुहेलदेव विजय दिवस मनाया जा रहा है। 11वीं सदी में महाराजा सुहेलदेव ने मसूद गाज़ी को हराया था इस ऐतिहासिक जीत को हिंदुत्व के प्रतीक के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, यह सिर्फ राजभर समाज ही नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की विजय है जो सनातन संस्कृति में आस्था रखता है। सीएम योगी ने अलग-अलग जातियों और समुदायों के महापुरुषों के नाम पर कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट करना और सपा के पीडीए फॉर्मूले को कमजोर करना है।

महापुरूषों के नाम पर योजनाएं

इन योजनाओं में शामिल हैं, डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर योजना, जीरो पावर्टी स्कीम और 17 नगर निगम क्षेत्रों और नोएडा-ग्रेटर नोएडा में डॉ. भीमराव अंबेडकर श्रमिक सुविधा केंद्रों की स्थापना। इसके अलावा, संविधान के अमृत महोत्सव वर्ष में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर समाज कल्याण छात्रावास पुनर्निर्माण एवं नवनिर्माण योजना शुरू की गई है, लौह पुरुष सरदार पटेल, उनके जन्मदिवस के लिए 75 में से 74 जिलों में प्रत्येक जिला को 50 हजार रुपये और लखनऊ के लिए 5 लाख रुपये स्वीकृत किए गए। साथ ही, प्रत्येक जनपद में 100 एकड़ पर सार्वजनिक-निजी सहभागिता के आधार पर सरदार पटेल जनपदीय आर्थिक क्षेत्र की स्थापना की जाएगी, संत कबीर और संत रविदास राज्य की उपलब्ध भूमि पर PPP मॉडल के तहत 10 संत कबीर वस्त्रोद्योग पार्क और संत रविदास चर्मोद्योग पार्क स्थापित किए जाएंगे, चौधरी चरण सिंह लखनऊ में भारतरत्न चौधरी चरण सिंह के नाम पर सीड पार्क की स्थापना। माता शबरी प्रत्येक कृषि मंडी में माता शबरी के नाम पर कैंटीन और विश्रामालय की स्थापना। माता अहिल्याबाई होल्कर सात जनपदों वाराणसी, मेरठ, प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर नगर, झांसी, आगरा में श्रमजीवी महिलाओं के लिए माता अहिल्याबाई होल्कर के नाम पर हॉस्टल की स्थापना। औरैया मेडिकल कॉलेज का नामकरण, औरैया मेडिकल कॉलेज का नाम अहिल्याबाई होल्कर के नाम पर रखा गया है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

बीजेपी के इस हिंदू एकता अभियान को विपक्ष महज एक राजनीतिक स्टंट बता रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने बीजेपी की रणनीति पर तंज कसते हुए कहा कि ये सिर्फ दिखावा है। बीजेपी को हिंदू-मुसलमान में बांटना आता है, लेकिन पीडीए फॉर्मूला सामाजिक न्याय और बराबरी पर आधारित है। बीजेपी का मानना है कि सांस्कृतिक गौरव और धार्मिक एकता के जरिए सपा के जातीय समीकरण को कमजोर किया जा सकता है। वहीं, सपा अपने सामाजिक न्याय के एजेंडे के साथ जनता को लुभाने में लगी है, 2027 का चुनाव सिर्फ विकास और वादों का नहीं, बल्कि विचारधाराओं की टक्कर भी बनने जा रहा है। एक तरफ बीजेपी का हिंदुत्व आधारित समरसता मॉडल, और दूसरी तरफ सपा का पीडीए फॉर्मूला।

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