Home National News तुर्की के ड्रोन से लेकर चीन की मिसाइल तक, भारत के डिफेंस सिस्टम ने सबको किया फेल

तुर्की के ड्रोन से लेकर चीन की मिसाइल तक, भारत के डिफेंस सिस्टम ने सबको किया फेल

by ION Bharat

भारत के साथ युद्धविराम से पाकिस्तानी खेमे में खुशी का माहौल है. पाकिस्तान का खुश होना लाजमी भी है, क्योंकि भारत ने महज तीन दिनों में ही उसे घुटनों पर ला दिया था. पड़ोसी पाकिस्तान के हर वार को भारत के डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया. तुर्की के ड्रोन हों या चीन की मिसाइल, पाकिस्तान के लिए कुछ भी काम नहीं आया. भारत की शक्ति के सामने कोई नहीं टिक सका.

दीवार बना एयर डिफेंस सिस्टम
शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने बताया कि तीन दिनों की भीषण कार्रवाई के दौरान भारत के इंटीग्रेटेड मल्टी-लेयर एयर डिफेंस नेटवर्क ने तुर्की के ड्रोन से लेकर चीनी मिसाइलों और संभवत: कुछ पाकिस्तानी विमानों के हमलों को नाकाम कर दिया. एयर मार्शल एके भंडारी के अनुसार, हमारा इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम दीवार की तरह खड़ा रहा और पाकिस्तान इसे भेद नहीं पाया. चाहे तुर्की का ड्रोन हो या कुछ और भारत की तकनीक के सामने सभी विफल रहे.

सभी सिस्टम पूरी तरह चालू
एके भंडारी ने कहा कि हमारे सभी सैन्य अड्डे, हमारे सभी सिस्टम पूरी तरह से चालू हैं. जरूरत पड़ने पर वे भविष्य में किसी भी मिशन को अंजाम देने के लिए तैयार हैं. सोमवार को प्रेस ब्रीफिंग में सैन्य अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान की तरफ से चीन निर्मित पीएल-15 एलआर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल और तुर्की निर्मित ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया. इनमें से अधिकांश को भारत के डिफेंस सिस्टम ने मार गिराया.

आकाश ने दिखाया जलवा
पाकिस्तान को माकूल जबाव देने के लिए भारत ने ‘आकाश’ का भी इस्तेमाल किया. इसके साथ ही स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम ‘आर्चर सिस्टम’ ने भी शानदार प्रदर्शन किया. एके भंडारी के अनुसार, पिछले 10 सालों में इस ताकतवर एयर डिफेंस नेटवर्क को तैयार करना संभव हुआ है. आकाश’ को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने तैयार किया है. ‘आकाश’ मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली है. इसे डीआरडीओ और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड की ओर से निर्मित मिसाइलों से विकसित किया गया है.

इसलिए खास है आकाश
‘आकाश’ प्रणाली 18,000 मीटर की ऊंचाई पर 45 किलोमीटर दूर तक के विमानों को निशाना बनाने में सक्षम है. इसमें फाइटर जेट, क्रूज मिसाइल और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों के साथ ही बैलिस्टिक मिसाइलों को बेअसर करने की क्षमता है. ‘आकाश’ की सबसे खास बात यह है कि इसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है. TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, वायुसेना के बेड़े में आकाश-1 और 2 शामिल हैं. इसके लिए वायुसेना ने 10,900 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया था.

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