Home National News विदेश मंत्री की सुरक्षा हुई तगड़ी, जानें किसे और कैसे मिलती है सुरक्षा, Z कैटेगरी में क्या शामिल?

विदेश मंत्री की सुरक्षा हुई तगड़ी, जानें किसे और कैसे मिलती है सुरक्षा, Z कैटेगरी में क्या शामिल?

by ION Bharat

विदेश मंत्री एस. जयशंकर की सुरक्षा में बढ़ोतरी की गई है. गृह मंत्रालय (MHA) ने पाकिस्तान से तनाव को ध्यान में रखते हुए विदेश मंत्री की सुरक्षा में बढ़ोतरी करते हुए उनके काफिले में बुलेटप्रूफ गाड़ी शामिल की है. जयशंकर अब बुलेटप्रूफ कार में चलेंगे. इसके अलावा, दिल्ली में उनके आवास के आसपास भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है. बता दें कि जयशंकर को पहले से ही जेड श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है.

कितने जवान होते हैं?
पिछले साल विदेश मंत्री जयशंकर की सुरक्षा का स्तर ‘वाई’ से बढ़ाकर ‘जेड’ श्रेणी किया गया था. जयशंकर की सुरक्षा में 33 कमांडो हर समय तैनात रहते हैं, जिसमें CRPF कमांडो भी शामिल हैं. Z कैटेगरी की सुरक्षा सबसे ऊंची सुरक्षा में से एक है. इसमें कम से कम 22 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं. जेड श्रेणी के तहत मिलने वाली सुरक्षा में 4 से 6 NSG कमांडो और पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं. इसके अलावा, पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO),सर्विलांस स्टाफ और करीब 8 स्टैटिक आर्म्ड गार्ड भी इसका हिस्सा होते हैं.

कितने हैं लेवल?
जेड कैटेगरी की सुरक्षा में एस्कॉर्ट गाड़ियां भी शामिल होती हैं. यह सुरक्षा आमतौर पर ऐसे VVIP लोगों को मिलती है, जिनकी जान को अधिक खतरा होता है. वीआईपी सुरक्षा कवर जेड-प्लस, जेड, वाई, वाई-प्लस और एक्स तक होता है. वर्तमान में सीआरपीएफ 210 से अधिक लोगों को वीआईपी सुरक्षा प्रदान कर रही है. इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी, दलाई लामा और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी आदि शामिल हैं.

कैसे मिलती है सुरक्षा?
केंद्रीय गृह मंत्रालय खुफिया सूचनाओं के आधार पर यह निर्धारित करता है कि VVIP को कौनसी सुरक्षा दी जानी है. समय-समय पर इसकी समीक्षा होती है और उस अनुरूप बदलाव भी किया जाता है. सिक्योरिटी लेवल में सबसे ऊपर स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) है. एसपीजी सुरक्षा केवल देश के प्रधानमंत्री को मुहैया कराई जाती है. SPG के बाद Z+ कैटेगरी सबसे ऊंची सुरक्षा है और इसमें 36 सुरक्षाकर्मी होते हैं. इसी तरह, Y+ कैटेगरी में 11 सुरक्षाकर्मी होते हैं. Y कैटेगरी के तहत 8 सुरक्षाकर्मी मौजूद रहते हैं. X कैटेगरी में सिर्फ 2 पुलिसकर्मी होते हैं. इसमें कोई कमांडो नहीं होता.

कौन उठाता है खर्चा?
बाकी सिक्योरिटी लेवल की तरह Z कैटेगरी की सुरक्षा भी खर्चीली होती है. हालांकि, इसका खर्चा संबंधित व्यक्ति को नहीं देना होता, सरकार इसका भार वहन करती है. 2014 में एक आरटीआई के जवाब में सरकार ने कहा था कि इन सुरक्षा घेरों का खर्चा राज्य सरकार के खाते में जाता है. सुरक्षा पाने वाला व्यक्ति जिस भी राज्य में रहता है, उसे मिलनी वाली सुरक्षा का खर्च संबंधित राज्य सरकार उठाती है. सरकार ने यह भी कहा था कि इस तरह की व्यवस्था में कई सारी एजेंसियां शामिल होती हैं. लिहाजा सुरक्षा कवर पर होने वाले खर्च का सटीक आंकड़ा नहीं बताया जा सकता.

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