
हाईलाइट्स
- बिहार में बन रहा है लालू यादव का मंदिर
- पूर्व सैनिक ने किया मंदिर का शिलान्यास
- 6 फुट की प्रतिमा, भक्ति गीत और भंडारा
- लोकतंत्र से देवतंत्र की ओर बिहार?
Lalu Yadav Temple In Bihar: बिहार में इन दिनों चुनावी गर्मी चरम पर है और इस गर्मी में एक खबर और तप रही है। जब नेता, भगवान बनने लगें! तो लोकतंत्र की दिशा क्या होगी? आज की कहानी है लालू प्रसाद यादव और उनके बनते मंदिर की। चलिए, इस दिलचस्प राजनीतिक पूजा-पाठ को ज़रा करीब से समझते हैं। लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन है, मतलब ये कि जनता ही जनता के लिए जनता से प्रार्थना या याचना कर सकती है। बिहार में चुनावी मौसम है और आए दिन हैरतअंगेज ख़बरें सामने आ रही हैं। इसी सिलसिले में बिहार से दिलचस्प ख़बर सामने आई है। बिहार में दरअसल अब नेता ही जनार्दन होते जा रहे हैं। ताजा मामला बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से जुड़ा है।
बिहार में बनेगा लालू यादव का मंदिर
बिहार अब राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव के बनते मंदिर का गवाह बनेगा। नवादा जिले के हिसुआ के सरतकिया गांव में राष्ट्रीय जनता दल के कट्टर समर्थक माने जाने वाले और लालू यादव के प्रशंसक पूर्व सैनिक नरेश यादव ने बीते गुरुवार को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ इस मंदिर का विधिवत शिलान्यास किया है। आप को बता दें कि लालू यादव के 78 वें जन्मदिन को लेकर मंदिर निर्माण की नींव के कार्यक्रम सहित भंडारे का भी आयोजन किया गया था। दिलचस्प बात ये है कि इस अनूठे प्रशंसक के कार्यक्रम में पूरा गांव एकसाथ खड़ा नज़र आया।
एक साल में बन जाएगा लालू यादव का मंदिर
बताया जा रहा है कि मंदिर में लालू यादव की 6 फुट की प्रतिमा स्थापित की जाएगी और यहां पर लोग उन्हें भगवान की तरह पूजेंगे। आइए आपको मंदिर के बारे में कुछ खास बाते बताते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि 50 फीट ऊंचे इस मंदिर का निर्माण लालू यादव के अगले जन्मदिन तक पूरा किया जाएगा। इस मंदिर में लालू यादव के नाम के भक्ति गीत और संगीत भी बजाए जाएंगे। मतलब साफ है कि ये पूरा जीता जागता मंदिर होगा। जहां आपके अराध्य की जगह राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो की मूर्ति होगी। पूर्व सैनिक नरेश यादव केवल मंदिर बनाने तक नहीं रुके हैं। उन्होंने लोगों से बात करते हुए यहां तक कह दिया कि लालू यादव गरीब, दलितों और पिछड़े समाज के मसीहा रहे हैं। इस दौरान जिला परिषद रामचंद्र प्रसाद यादव भी कार्यक्रम में दिखाई दिए।
देखना यह होगा कि पूर्व सैनिक नरेश यादव की तरह दूसरे लोग भी लालू यादव के भक्त बनकर यहां कब तक आना शुरु होते हैं और क्या ये भक्त समाजवाद की आरती गाएंगे या लालू पर लगते रहे जंगलराज के आरोपों की कथा का प्रवचन करेंगे। क्या ये सिर्फ भक्ति है या रणनीति? क्या लालू-मंदिर चुनावी जूनून का हिस्सा है या वाकई एक जन-देवता बनने की यात्रा? अपनी राय नीचे कॉमेंट में ज़रूर लिखें।