Home National News सेलेबी एविएशन पर भारत का एक्शन तुर्की के लिए कितना बड़ा झटका, समझिये पूरा कनेक्शन

सेलेबी एविएशन पर भारत का एक्शन तुर्की के लिए कितना बड़ा झटका, समझिये पूरा कनेक्शन

By ION Bharat

बॉयकॉट तुर्की अभियान के बीच भारत सरकार ने सेलेबी एविएशन के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने इस ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी के सिक्योरिटी क्लीयरेंस को रद्द कर दिया है. वहीं, कंपनी ने भारत सरकार के इस कदम को अदालत में चुनौती दी है. सेलेबी एविएशन ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उसका कहना है कि सरकार ने अपने फैसले का कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया और इससे उसके भारतीय कर्मचारियों की नौकरी पर असर पड़ेगा. चलिए जानते हैं कि सेलेबी एविएशन का तुर्की से क्या नाता है और भारत का यह कदम तुर्की के लिए कितना बड़ा झटका है.

क्या है तुर्की कनेक्शन?
सेलेबी एविएशन मूलरूप से तुर्की की कंपनी है और इसका मुख्यालय इंस्ताबुल में है. इसकी स्थापना 1958 में अली कैविट सेलेबियोग्लू ने तुर्की की पहली प्राइवेट ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी के तौर पर की थी. अली कैविट के निधन के बाद उनके बेटे कैन सेलेबियोग्लू और बेटी कैनान सेलेबियोग्लू (Celebioglu and Ms. Canan Celebioglu) कंपनी को संभालते हैं. कहा जा रहा है कि इन दोनों का तुर्की सरकार से संबंध हैं. इतना ही नहीं, सेलेबी एविएशन में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यप एर्दोआन की बेटी सुमेये एर्दोआन की हिस्सेदारी की बातें भी कही जा रही हैं.

क्या है कंपनी का कहना?
वहीं, कंपनी का कहना है कि सोशल मीडिया पर उसके बारे में चल रही बातें और लगाए जा रहे आरोप पूरी तरह से गलत हैं. सेलेबी एविएशन इंडिया का कहना है कि वह एक भारतीय उद्यम है, जिसका प्रबंधन भारतीय पेशेवरों द्वारा संभाला जाता है. कंपनी के अनुसार, उसकी 65 प्रतिशत हिस्सेदारी कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, यूएई और पश्चिमी यूरोप के निवेशकों के पास है. तुर्की की हिस्सेदारी केवल कंपनी के संस्थापक सेलेबियोग्लू परिवार के सदस्यों – कैन सेलेबियोग्लू और कैनान सेलेबियोग्लू तक ही सीमित है. दोनों में से प्रत्येक के पास 17.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है. सेलेबी एविएशन ने यह भी कहा है कि उसका तुर्की की किसी राजनीतिक पार्टी या सरकार से कोई रिश्ता नहीं है.

कहां-कहां मौजूद है कंपनी?
सेलेबी एविएशन कुल छह देशों में मौजूद है. इसका ग्लोबल नेटवर्क तुर्की, भारत, जर्मनी, हंगरी, तंजानिया और इंडोनेशिया तक फैला है. तुर्की के बाद कंपनी के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा बेस है. यहां कंपनी पिछले 15 साल से 9 हवाई अड्डों पर सेवाएं दे रही है. सबसे पहले इसने मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ग्राउंड हैंडलिंग का काम शुरू किया फिर धीरे-धीरे दायरा बढ़ाती गई. वर्तमान में सेलेबी दिल्ली, मुंबई, कोचीन, कन्नूर, बेंगलुरु, हैदराबाद, गोवा, अहमदाबाद और चेन्नई एयरपोर्ट पर सेवाएं देती है.

भारत में सबसे ज्यादा स्टाफ
सेलेबी एविएशन की वेबसाइट के अनुसार, भारत में उसके पास सबसे ज्यादा स्टाफ है. भारत में कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 7800 है. वहीं, तुर्की में उसके कर्मचारियों की संख्या 3634, जर्मनी में 100, हंगरी में 800, तंजानिया में 100 और इंडोनेशिया में 1000 से ज्यादा है. कामकाज के लिहाज से देखें, तो कंपनी तुर्की में सबसे ज्यादा 32 स्टेशन संभालती है, भारत में यह संख्या 9, जर्मनी-हंगरी और तंजानिया में 1-1 जबकि इंडोनेशिया में 26 है. इस बीच, दिल्ली एयरपोर्ट ऑपरेटर ने एक बयान में कहा कि उसने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो ऑपरेशन के लिए ज़िम्मेदार सेलेबी के साथ अपना सहयोग आधिकारिक रूप से समाप्त कर दिया है.

राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला
भारत के कानून के मुताबिक, एयरपोर्ट पर जरूरी सेवाएं देने वाली कंपनियों के लिए सिक्योरिटी क्लीयरेंस जरूरी है. इसका मतलब है कि सेलेबी भारत में काम नहीं कर पाएगी. नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू का कहना है कि राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक सुरक्षा सबसे ऊपर है, इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता. वहीं, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो ने एक आदेश में कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संबंध में सुरक्षा मंजूरी तत्काल प्रभाव से रद्द की जाती है. वहीं, कंपनी ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया, लेकिन ये नहीं बताया कि आखिर कंपनी कैसे कोई खतरा बनती है. इस संबंध में आखिरी फैसला अब अदालत से आएगा.

झटका तो लगेगा
सेलेबी भले ही भारत सहित दूसरे देशों में भी मौजूद हो, लेकिन वह मूलरूप से तुर्की की कंपनी है और उसके फाउंडर भी तुर्की के हैं. ऐसे में भारत सरकार का यह कदम तुर्की के लिए बड़े झटके की तरह है. वहीं, जैसे दावे किए जा रहे हैं, अगर तुर्की के राष्ट्रपति की बेटी की भी इसमें हिस्सेदारी है, तो यह सीधे तौर पर राष्ट्रपति रेसेप तय्यप एर्दोआन के लिए बड़ा झटका होगा. क्योंकि तुर्की के बाद भारत सेलेबी के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है और यहां कामकाज बंद होना उसकी आर्थिक स्थिति को कमजोर करेगा.

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