Home National News जवानों का जोश और AI की ताकत से पाक का हर हमला नाकाम, जानें टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में कैसे आगे रहा भारत

जवानों का जोश और AI की ताकत से पाक का हर हमला नाकाम, जानें टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में कैसे आगे रहा भारत

By ION Bharat

भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान हमारी सेना ने न केवल दुश्मन के आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया, बल्कि उसके हवाई हमले भी नाकाम कर डाले. डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह सफलता भारत की अंतरिक्ष विशेषज्ञता, इलेक्ट्रॉनिक्स कौशल और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित कंप्यूटिंग क्षमताओं के एकीकृत उपयोग का परिणाम है.

दुश्मन पर थी नजर
भारतीय सेना ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए AI आधारित क्लाउड-इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) का इस्तेमाल किया. इसकी मदद से उसने दुश्मन की तरफ से उत्पन्न हवाई खतरे की स्थिति को पहले ही पहचान लिया और उसके अनुसार रणनीतिक उत्तर दिया. IACCS के माध्यम से सेना दुश्मन की हवाई गतिविधि पर नजर रख पाई, उसकी रडार इमेज को स्टडी कर पाई और जमीनी, समुद्री एवं हवाई प्लेटफॉर्म से उसे निष्क्रिय कर दिया.

सालों की है तैयारी
इस संघर्ष में AI बेस्ड क्लाउड-इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) पाकिस्तान से आने वाले हवाई खतरों के खिलाफ एक अभेद्य ढाल साबित हुआ. हालांकि, यह सबकुछ एकदम से नहीं हो गया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सेना पिछले काफी समय से AI और नई डिफेंस तकनीकों पर काम कर रही है. इसकी शुरुआत सही मायनों में कुछ साल पहले हुई जब सशस्त्र बलों ने अपनी रक्षात्मक और आक्रामक क्षमताओं में एआई का उपयोग करने के बारे में सोचना शुरू किया.

2018 में हुई शुरुआत
2018 में रक्षा मंत्रालय (MoD) ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से AI की रणनीतिक भूमिका को लेकर एक मल्टी-स्टेकहोल्डर टास्क फोर्स का गठन किया था. इस टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर मंत्रालय ने डिफेंस एयर काउंसिल (DAIC) और डिफेंस एयर प्रोजेक्ट (DAIPA) की स्थापना की, जिसका काम सशस्त्र बलों में AI के व्यापक उपयोग के लिए नीतिगत और संरचनात्मक मार्गदर्शन प्रदान करना है. सरकार ने 2022 में रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के लिए एक AI रोडमैप तैयार किया, जिसके अंतर्गत 70 डिफेंस एक्सपर्ट प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई. इसमें से 40 पूरे हो चुके हैं.

129 AI प्रोजेक्ट्स
साल 2026 तक के लिए कुल 129 AI प्रोजेक्ट्स स्वीकृत हैं, जिनमें से 77 पहले ही पूरे हो चुके हैं. प्रत्येक डिफेंस सर्विस को AI कार्यान्वयन के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. उदाहरण के तौर पर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने एक AI बेस्ड सिस्टम तैयार किया है, जो दुश्मन के विमानों की गतिविधियों को पहचानने और वर्गीकृत करने की क्षमता रखता है. इसे एयरफोर्स के IACCS में शामिल किए जाने की संभावना है.

आर्मी ने बनाया IMS
इंडियन आर्मी ने भी पश्चिमी मोर्चे पर दुश्मन की गतिविधियों को ट्रैक करने और विश्लेषण के लिए AI आधारित इंटरसेप्ट मैनेजमेंट सिस्टम (IMS) विकसित किया है. यह सिस्टम डेटा साइंस और विज़ुअल टेक्नोलॉजी के माध्यम से इंटरसेप्ट किए गए डेटा का विश्लेषण करता है और सटीक खुफिया जानकारी प्रदान करता है. इसके अलावा, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं रोबोटिक्स केंद्र (CAIR) ने एक वायु रक्षा नियंत्रण एवं रिपोर्टिंग प्रणाली (ADC & RC) भी विकसित की है, जिसका उपयोग सभी हवाई लक्ष्यों का पता लगाने और सभी वायु रक्षा हथियार प्रणालियों के प्रभावी एकीकरण द्वारा संवेदनशील क्षेत्रों से दूर खतरे को बेअसर करने के लिए किया जाता है.

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