
हाईलाइट्स
- थरूर विदेशों में बढ़ा रहे भारत का मान
- कांग्रेस ने थरूर को बीजेपी प्रवक्ता बताया
- शशि थरूर पर फूटा उदित राज का गुस्सा
- कांग्रेस में राष्ट्रवाद से ऊपर है पार्टी लाइन ?
कांग्रेस की नजर में शशि थरूर बीजेपी के सुपर प्रवक्ता हैं। और वजह क्या है? उन्होंने विदेशी धरती पर भारत की आवाज बुलंद की, आतंक के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ की, और दुनिया को बताया कि अब भारत चुप नहीं बैठता, जवाब देता है वो भी उस लहजे में, जो दुश्मन के इरादे ध्वस्त कर दे। लेकिन बजाय इसके कि कांग्रेस इस पर गर्व करे, उसने थरूर की राष्ट्रवादी भावना पर सवाल उठा दिए, जैसे देश के सम्मान से बड़ा पार्टी का एजेंडा हो गया हो। क्या अब कांग्रेस में भारत की विदेशों में सकारात्मक छवि को समर्थन देना गुनाह हो गया है?
शशि थरूर से नाराज क्यों हुई कांग्रेस?
विदेशी धरती पर थरूर ने डंके की चोट पर कहा था जब हमने आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया, तो इसमें कुछ लोगों की मौत हो गई और निश्चित रूप से उन आतंकियों का अंतिम संस्कार आयोजित किया गया था। उस अंतिम संस्कार में कुछ बहुत ही प्रमुख लोग थे। उसमें कम से कम एक व्यक्ति का नाम संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध समिति द्वारा सूचीबद्ध किया गया था। इसमें कुछ हाईलेवल के सेना और पुलिस के अधिकारी भी शामिल थे जो आतंकवादियों के अंतिम संस्कार पर शोक मना रहे थे। यह वही देश है जो अब कहता है कि हम निर्दोष हैं। हमने पहलगाम आतंकी हमला नहीं किया। आप उन लोगों के लिए शोक नहीं मनाते जिनसे आप परिचित नहीं हैं। लेकिन थरूर क्वे इन बयानों से कांग्रेस को बेहद तकलीफ हुई। ख़ासकर कांग्रेस के पूर्व सांसद उदित राज को इससे इतनी दिक्कत हुई की थरूर को भाजपा का सुपर प्रवक्ता तक कह डाला और यह तब जब थरूर कांग्रेस के अकेले ऐसे सांसद थे जिन्हें केंद्र सरकार ने 7 देशों में भारत का पक्ष रखने के लिए डेलीगेशन का नेतृत्व सौंपा। इतना ही नहीं, उदित राज को पवन खेड़ा का समर्थन भी मिल गया। क्या यह गर्व का विषय नहीं होना चाहिए था कि विपक्ष का भी एक प्रतिनिधि राष्ट्र की विदेश नीति का चेहरा बना? लेकिन कांग्रेस ने उस पर भी घोर आपत्ति जताई। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने यह तक कह दिया कि उन्होंने थरूर का नाम नहीं दिया था, जैसे विदेश में भारत की छवि थरूर के ज़रिए निखर जाए, इससे कांग्रेस को दिक्कत हो।
जब 26 मासूम भारतीय नागरिकों की जान आतंकियों ने ले ली और उसके जवाब में भारत ने पहली बार खुलेआम पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंक की कमर तोड़ी, तब थरूर ने कहा कि यह कार्रवाई पाकिस्तान और पूरी दुनिया को एक साफ संदेश है. भारत अब चुप नहीं रहेगा। क्या ये कोई गलत बात थी? क्या किसी भी भारतीय को इसका समर्थन नहीं करना चाहिए? लेकिन कांग्रेस की कार्यसमिति ने 14 मई को हुई बैठक में उल्टा थरूर को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह निजी विचार व्यक्त करने का समय नहीं है। क्या कांग्रेस ये भूल गई कि जब देश पर हमला हो, तब पार्टी लाइनें धुंधली हो जाती हैं? क्या यह वही पार्टी है जिसने एक समय में विदेशी नीति पर bipartisanship को सर्वोपरि माना था? आज वही पार्टी अपने सांसद को लक्ष्मण रेखा लांघने का दोष दे रही है और वो भी इसलिए कि उन्होंने भारत की ताकत, भारत की जवाबदेही और भारत की सुरक्षा नीति का खुले मंच से समर्थन किया। थरूर अकेले नहीं थे इस डेलीगेशन में. भाजपा, TDP, JMM, लोजपा, शिवसेना सभी के प्रतिनिधि थे। लेकिन कांग्रेस ने अपने ही प्रतिनिधि को कटघरे में खड़ा कर दिया। ये वही शशि थरूर हैं जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया, वैश्विक मंचों पर भारत का नाम रौशन किया, लेकिन अब जब वो एक बार फिर भारत का पक्ष दुनिया के सामने मजबूती से रख रहे हैं, तब उनकी अपनी पार्टी उन्हें शक की नजर से देख रही है। क्या कांग्रेस को आज यह तय नहीं करना चाहिए कि वह देश के साथ है या सिर्फ उस राजनीति के साथ, जो हर सफल राष्ट्रीय प्रयास को मोदी बनाम विपक्ष के चश्मे से देखती है? थरूर ने बिल्कुल सही कहा, जब देश को मेरी ज़रूरत होगी, मैं पीछे नहीं हटूंगा। यही तो वह भावना है जिसकी आज सख्त ज़रूरत है। पार्टी लाइन से ऊपर उठकर देश के लिए खड़ा होना। पर अफसोस, कांग्रेस इस सोच को डिसिप्लिन का उल्लंघन मान रही है। इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर दिखा दिया है कि कांग्रेस आज भी राष्ट्रहित को पार्टीहित से अलग नहीं कर पाती। यही वजह है कि जनता के बीच उसकी विश्वसनीयता लगातार गिरती जा रही है। शशि थरूर ने भारत की विदेश नीति, सैन्य शक्ति और आतंकवाद के खिलाफ उसकी निर्णायक कार्यवाही को जिस प्रकार वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया, उस पर हर भारतीय को गर्व होना चाहिए और हर पार्टी को उनसे सीख लेनी चाहिए, न कि उन्हें कटघरे में खड़ा करना चाहिए।
Udit Raj Podcast With Dr. Archana Singh: – https://youtu.be/BLxsUq4SDK4