Quota for Muslim Contractors: कांग्रेस ने मुसलमानों को दिया 4% आरक्षण! कर्नाटक कैबिनेट ने दी KTPP एक्ट बदलने को मंजूरी

कर्नाटक सरकार ने सरकारी टेंडरों में मुस्लिम ठेकेदारों को 4% आरक्षण देने का फैसला किया है। इसके लिए कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (KTPP) एक्ट में संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। यह संशोधन चालू विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा। इस फैसले के बाद राज्य की सिद्धारमैया सरकार और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच तीखी बहस छिड़ गई है।

कैबिनेट की बैठक में लिया गया फैसला

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में शुक्रवार (14 मार्च) को विधानसभा के कैबिनेट हॉल में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस बैठक में KTPP एक्ट में संशोधन को मंजूरी दी गई। इस संशोधन का मकसद सरकारी टेंडरों में मुस्लिम ठेकेदारों को 4% आरक्षण देना है। इससे पहले 7 मार्च को कर्नाटक सरकार के बजट पेश होने के दौरान इस बात की पुष्टि हो चुकी थी कि सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को आरक्षण दिया जाएगा।

एक करोड़ तक के टेंडर में आरक्षण

सरकारी विभागों, निगमों और संस्थाओं के अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं की खरीद में एक करोड़ तक के टेंडरों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के अलावा तीन अलग-अलग श्रेणियों के तहत आपूर्तिकर्ताओं को आरक्षण दिया जाएगा। इनमें से एक श्रेणी में मुस्लिम ठेकेदारों को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य समाज के पिछड़े वर्गों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।

बीजेपी की आपत्ति और राजनीतिक बहस

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने जब से सरकारी टेंडरों में मुस्लिम ठेकेदारों को आरक्षण देने की बात कही थी, तभी से विपक्षी दल बीजेपी इसके खिलाफ मुहिम चला रही है। बीजेपी ने इस फैसले को मुस्लिम तुष्टिकरण बताया है और इसे हिंदू विरोधी कदम करार दिया है। बीजेपी के कई नेताओं ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि यह फैसला समाज में ध्रुवीकरण को बढ़ावा देगा।

हालांकि, सिद्धारमैया सरकार ने विपक्ष की आलोचनाओं को नजरअंदाज करते हुए अपने वादे पर अमल किया है। कैबिनेट ने मुस्लिम ठेकेदारों को आरक्षण देने के लिए KTPP एक्ट में संशोधन का रास्ता साफ कर दिया है।

क्या है KTPP एक्ट?

कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (KTPP) एक्ट का उद्देश्य सरकारी खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। इस एक्ट के तहत सरकारी टेंडरों में छोटे और मझोले उद्यमियों को प्राथमिकता दी जाती है। अब इस एक्ट में संशोधन करके मुस्लिम ठेकेदारों को भी आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।

कर्नाटक सरकार का यह फैसला समाज के पिछड़े वर्गों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, इस फैसले को लेकर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। बीजेपी इस फैसले का विरोध कर रही है, जबकि कांग्रेस सरकार इसे सामाजिक न्याय का हिस्सा बता रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह फैसला राज्य की राजनीति और समाज पर क्या प्रभाव डालता है।

फिलहाल, कर्नाटक सरकार ने अपने वादे को पूरा करते हुए मुस्लिम ठेकेदारों को आरक्षण देने का रास्ता साफ कर दिया है। अब यह फैसला विधानसभा में पेश होगा और उसके बाद इसे लागू किया जाएगा।

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