बिहार की राजनीति में कन्हैया कुमार की एंट्री: क्या टूटेगा महागठबंधन?
बिहार की राजनीति में उस समय नया मोड़ आया, जब कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को बिहार में सक्रिय करने का फैसला किया है। कन्हैया कुमार, जो जेएनयू की राजनीति से निकलकर कांग्रेस में शामिल हुए, अब बिहार में अपनी सियासी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उनकी एंट्री से सबसे ज्यादा परेशानी आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव को हो रही है। क्या कन्हैया कुमार की एंट्री से महागठबंधन में दरार आएगी? आइए जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी।
कन्हैया कुमार की बिहार में वापसी
कन्हैया कुमार, जो पहले जेएनयू छात्र नेता के रूप में जाने जाते थे, अब कांग्रेस के एक प्रमुख चेहरे के रूप में उभर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में बिहार में ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ नामक पदयात्रा का नेतृत्व किया, जो पश्चिमी चंपारण से शुरू होकर पटना तक पहुंची। इस यात्रा के जरिए कन्हैया ने बिहार सरकार पर पलायन, बेरोजगारी और सांप्रदायिकता के मुद्दे पर निशाना साधा।
तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ीं
कन्हैया कुमार की बिहार में सक्रियता से सबसे ज्यादा परेशानी तेजस्वी यादव को हो रही है। लालू यादव को लगता है कि कन्हैया कुमार के उभरने से तेजस्वी यादव की राजनीतिक पकड़ कमजोर हो सकती है। तेजस्वी यादव, जो बिहार में विपक्ष के सबसे मजबूत नेता के रूप में उभरे हैं, अब कन्हैया कुमार को एक बड़ी चुनौती के रूप में देख रहे हैं।
महागठबंधन पर संकट
बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के बीच महागठबंधन लंबे समय से चल रहा है। लेकिन कन्हैया कुमार की एंट्री से इस गठबंधन में दरार आने की आशंका बढ़ गई है। लालू यादव को डर है कि कन्हैया कुमार के उभरने से आरजेडी का वोट बैंक प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, कांग्रेस अब आरजेडी की छत्रछाया से बाहर निकलकर अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रही है।
हालांकि कन्हैया कुमार के पास जेएनयू की छवि और युवाओं का समर्थन है, लेकिन बिहार की राजनीति में उनके सामने कई चुनौतियां हैं। उनके पास तेजस्वी यादव जैसी जातीय पकड़ और राजनीतिक अनुभव का अभाव है। इसके अलावा, कांग्रेस का बिहार में संगठनात्मक ढांचा भी कमजोर है।
कन्हैया कुमार की चुनौतियां
कन्हैया कुमार की बिहार में एंट्री ने राजनीतिक समीकरणों को बदल दिया है। अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस और आरजेडी साथ रहेंगे या महागठबंधन का बिखराव तय है? क्या कन्हैया कुमार बिहार की राजनीति में नई ताकत बन सकते हैं या तेजस्वी यादव ही विपक्ष के सबसे मजबूत नेता बने रहेंगे? इन सवालों के जवाब आने वाले चुनावों में मिलेंगे।
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