दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी (AAP) ने हमेशा से मोहल्ला क्लीनिक को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताया है। लेकिन हाल ही में CAG (भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट ने इन दावों की पोल खोलकर रख दी है। रिपोर्ट में दिल्ली के स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति और मोहल्ला क्लीनिक में हुए घोटालों का खुलासा हुआ है।
CAG रिपोर्ट ने क्या उजागर किया?
CAG की रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में पेश की गई है। इस रिपोर्ट में सरकारी अस्पतालों, मोहल्ला क्लीनिक और स्वास्थ्य सुविधाओं की जमीनी हकीकत को बयां किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से बदहाल हैं और सरकार के दावे और हकीकत में बहुत बड़ा अंतर है।
मोहल्ला क्लीनिक: दावे और हकीकत
आम आदमी पार्टी ने मोहल्ला क्लीनिक को दिल्ली की जनता के लिए एक क्रांतिकारी कदम बताया था। लेकिन CAG रिपोर्ट के अनुसार, इन क्लीनिकों की हालत बेहद खराब है। रिपोर्ट में पाया गया कि:
- डॉक्टरों की लापरवाही: मोहल्ला क्लीनिक में आने वाले मरीजों को डॉक्टर एक मिनट से भी कम समय देते थे।
- बुनियादी सुविधाओं की कमी: कई क्लीनिक में पल्स ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, थर्मामीटर और ब्लड प्रेशर मॉनिटर जैसी बुनियादी चिकित्सा उपकरण भी नहीं थे।
- क्लीनिक बंद रहना: 18% क्लीनिक 15 दिनों से लेकर 23 महीनों तक बंद रहे। इसकी वजह डॉक्टरों की कमी और उनका इस्तीफा देना था।
- निरीक्षण की कमी: मार्च 2018 से मार्च 2023 के बीच 218 क्लीनिकों के 11,191 निरीक्षण होने चाहिए थे, लेकिन सिर्फ 175 निरीक्षण हुए।
अस्पतालों की बदहाल स्थिति
CAG रिपोर्ट में दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की भी बदहाल स्थिति का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक:
- बिस्तरों की कमी: अस्पतालों में मरीजों के लिए पर्याप्त बिस्तर उपलब्ध नहीं हैं।
- मेडिकल स्टाफ की कमी: दिल्ली के सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में 8,194 मेडिकल स्टाफ की कमी है।
- ICU और ब्लड बैंक की कमी: 27 में से 14 अस्पतालों में ICU सुविधा नहीं है और कई अस्पतालों में ब्लड बैंक भी नहीं है।
- दवाओं की कमी: दिल्ली के कई अस्पतालों और डिस्पेंसरी में आवश्यक दवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
COVID-19 के दौरान वित्तीय लापरवाही
CAG रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी के दौरान हुई वित्तीय लापरवाही का भी खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को कोविड के लिए जो फंड मिला था, उसका पूरा उपयोग नहीं किया गया। इसके अलावा, अस्पतालों में मेडिकल उपकरणों और सुविधाओं की भी कमी रही।
आयुष डिस्पेंसरी की हालत
दिल्ली की आयुष डिस्पेंसरी भी बदहाल स्थिति में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक:
- दवाओं की कमी: 42% आयुर्वेदिक और 56% यूनानी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
- मरीजों की संख्या में कमी: साल 2016-17 में 34 लाख 72 हजार मरीजों ने इलाज कराया था, जो 2022-23 में घटकर 28 लाख 13 हजार रह गया।
- सप्ताह में छह दिन OPD नहीं: 68% आयुर्वेदिक और 72% यूनानी डिस्पेंसरी में सप्ताह में छह दिन OPD नहीं चल पाती है।
केजरीवाल सरकार के लिए बड़ी चुनौती
CAG रिपोर्ट ने दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलकर रख दी है। मोहल्ला क्लीनिक से लेकर अस्पतालों तक, हर जगह लापरवाही और घोटालों का खुलासा हुआ है। यह रिपोर्ट केजरीवाल सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। अब देखना यह है कि दिल्ली की जनता और कानून केजरीवाल और उनकी सरकार का कैसा हिसाब लेता है।
इस रिपोर्ट के बाद यह साफ है कि दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए गंभीर कदम उठाने की जरूरत है। वरना, केजरीवाल सरकार के दावे और हकीकत के बीच का यह अंतर उनकी राजनीतिक विरासत को धूमिल कर सकता है।