अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) एक बार फिर सुर्खियों में है। बीजेपी नेता रूबी आसिफ खान ने एएमयू परिसर में मंदिर बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि जिस तरह से एएमयू कैंपस में मुस्लिम छात्रों के लिए मस्जिद है, वैसे ही हिंदू छात्रों के लिए मंदिर बनाया जाना चाहिए।
रूबी आसिफ खान की मांग क्या है?
रूबी आसिफ खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर एएमयू परिसर में मंदिर बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मुस्लिम छात्रों को मस्जिद में नमाज पढ़ने की सुविधा है, वैसे ही हिंदू छात्रों को भी मंदिर में पूजा-अर्चना करने का अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की जानी चाहिए और होली, गणेश चतुर्थी जैसे त्योहार मनाए जाने चाहिए।
रूबी आसिफ खान ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो वे बड़े प्रदर्शन का आयोजन करेंगी। उन्होंने एएमयू का नाम बदलने की भी मांग की है, जो इस मुद्दे को और भी विवादास्पद बना रहा है।
बीजेपी नेताओं का समर्थन
रूबी आसिफ खान की इस मांग का बीजेपी नेता अर्पित सिंह ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि एएमयू एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और यहां हर धर्म के छात्र पढ़ते हैं। इसलिए, हर धर्म के छात्रों के लिए उचित सुविधाएं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हर हॉस्टल में मस्जिद है, वैसे ही मंदिर भी होना चाहिए।
एएमयू का इतिहास और विवाद
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी भारत के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में से एक है। इसकी स्थापना 1875 में सर सैयद अहमद खान ने की थी। यह संस्थान शुरू से ही मुस्लिम छात्रों के लिए शिक्षा के केंद्र के रूप में जाना जाता है। हालांकि, यहां हर धर्म और समुदाय के छात्र पढ़ते हैं। एएमयू का नाम और इसकी धार्मिक पहचान अक्सर विवादों का कारण बनती रही है।
धार्मिक समानता या राजनीतिक मुद्दा?
रूबी आसिफ खान की मांग ने एक बार फिर धार्मिक समानता और राजनीतिक विवाद के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया है। एक तरफ, यह मांग हिंदू छात्रों के अधिकारों की बात करती है, तो दूसरी तरफ, यह एएमयू की धार्मिक पहचान को चुनौती देती है। क्या यह मांग वास्तव में धार्मिक समानता के लिए है, या फिर यह एक राजनीतिक चाल है?
क्या होना चाहिए?
एएमयू एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और यहां हर धर्म के छात्र पढ़ते हैं। ऐसे में, हर धर्म के छात्रों के लिए उचित सुविधाएं होनी चाहिए। अगर मुस्लिम छात्रों के लिए मस्जिद है, तो हिंदू छात्रों के लिए मंदिर और अन्य धर्मों के छात्रों के लिए भी उनके धार्मिक स्थल होने चाहिए। हालांकि, इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दिए बिना, संवाद और समझदारी के साथ हल किया जाना चाहिए।
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