दिल्ली की नई सरकार के गठन के बाद से ही मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विकास और जनकल्याण के क्षेत्र में तेजी से काम शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे मुद्दों पर सरकार की प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं। लेकिन, इस तेज रफ्तार विकास यात्रा में एक बड़ा अवरोध सामने आया है। बीजेपी के विधायकों ने शिकायत की है कि सरकारी अधिकारी उन्हें उचित महत्व नहीं दे रहे हैं, जिसके चलते विधानसभा अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा है।
विधायकों की शिकायत
दिल्ली विधानसभा के कई बीजेपी विधायकों ने शिकायत की है कि सरकारी अधिकारी उनके पत्रों, फोन कॉल और संदेशों का जवाब तक नहीं दे रहे हैं। यह मामला इतना गंभीर हो गया कि विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता को मुख्य सचिव धीरेंद्र को पत्र लिखकर इस मामले में कार्रवाई करने को कहना पड़ा। अध्यक्ष ने अपने पत्र में इसे “गंभीर मामला” बताते हुए सभी अधिकारियों को विधायकों के साथ उचित व्यवहार करने के निर्देश दिए हैं।
आप का हमला
इस मामले को लेकर विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। आप के पूर्व विधायक सौरव भारद्वाज ने ट्वीट करके कहा कि भाजपा ने पहले अधिकारियों को विधायकों और मंत्रियों की अवहेलना करना सिखाया, और अब खुद उसी समस्या से जूझ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रजातंत्र को कमजोर करने से देश और जनता का नुकसान होता है। हालांकि, यह सवाल भी उठता है कि जब आप की सरकार थी, तो उन्होंने इस समस्या का समाधान क्यों नहीं निकाला?
भाजपा का रुख
भाजपा ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और अधिकारियों को विधायकों के साथ उचित व्यवहार करने के निर्देश दिए हैं। भाजपा का कहना है कि वे केजरीवाल सरकार की तरह बहानेबाजी नहीं करेंगे, बल्कि समस्या का समाधान ढूंढेंगे। उनका मानना है कि बड़े तंत्र में ऐसी समस्याएं आती हैं, लेकिन जो काम करना चाहते हैं, वे बहाने नहीं बनाते।
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