रमज़ान का पवित्र महीना चल रहा है, लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान इस बार सीतापुर जिला कारागार की सलाखों के पीछे इफ्तार कर रहे हैं। रामपुर से तीन सपा नेताओं ने उनसे मुलाकात की और रोजा इफ्तार का सामान भेंट किया। लेकिन, आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम और परिवार के अन्य सदस्यों की अनुपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा को जन्म दिया है। यह घटना न केवल आजम खान के व्यक्तिगत जीवन, बल्कि रामपुर की राजनीति में उनके घटते प्रभाव को भी उजागर करती है।
रमज़ान में मुलाकात: तीन सपा नेताओं ने आजम खान को भेंट की इफ्तारी
रमज़ान के पवित्र महीने में आजम खान से मिलने रामपुर से तीन सपा नेता सीतापुर जेल पहुंचे। इन नेताओं में आमिर मियां, मोहम्मद सैफी और गगनदीप सिंह शामिल थे। उन्होंने ऑनलाइन पंजीकरण करवाकर जेल में आजम खान से मुलाकात की। यह मुलाकात करीब 1 घंटे 13 मिनट तक चली। नेताओं ने आजम खान को रोजा इफ्तार का सामान भेंट किया और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।
मुलाकात के बाद तीनों नेता मीडिया कैमरों से बचते हुए रामपुर के लिए रवाना हो गए। इस दौरान उन्होंने किसी भी तरह का बयान देने से परहेज किया। हालांकि, यह सवाल उठना लाजमी है कि आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम और परिवार के अन्य सदस्य उनसे मिलने क्यों नहीं पहुंचे।
अब्दुल्ला आजम की अनुपस्थिति: परिवार और राजनीति के बीच दूरी
आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम पिछले 18 महीनों से हरदोई जेल में बंद थे। हाल ही में उन्हें जमानत मिल गई है, लेकिन रमज़ान के मौके पर भी वे अपने पिता से मिलने नहीं पहुंचे। यह स्थिति आजम खान के परिवार और उनकी राजनीतिक पकड़ के बीच बढ़ती दूरी को दर्शाती है।
अब्दुल्ला आजम को दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में अक्टूबर 2023 में सजा सुनाई गई थी। इस मामले में आजम खान, उनकी पत्नी तजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला को सात-सात साल की सजा हुई थी। हालांकि, अब्दुल्ला को जमानत मिल गई है, लेकिन उनके पिता से मिलने नहीं पहुंचने से राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है।
रामपुर की सियासत: आजम खान के बिना बदलता परिदृश्य
एक समय था जब रामपुर की राजनीति में आजम खान का दबदबा था। वे खुद रामपुर सीट से विधायक थे, तो उनके बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार सीट से विधायक थे। इसके अलावा, उनकी पत्नी तजीन फात्मा राज्यसभा सदस्य भी रह चुकी हैं। रामपुर में आजम खान की मर्जी के बिना सपा किसी अन्य नेता को टिकट तक नहीं देती थी।
लेकिन, आजम खान के जेल जाने के बाद रामपुर की राजनीति पूरी तरह बदल गई है। उनके परिवार का कोई भी सदस्य अब विधानसभा या संसद का सदस्य नहीं है। योगी सरकार द्वारा आजम खान पर कानूनी कार्रवाई के बाद उनकी पकड़ कमजोर हो गई है।
अब्दुल्ला आजम की रिहाई: क्या बदलेगा राजनीतिक समीकरण?
अब्दुल्ला आजम की रिहाई के बाद रामपुर की राजनीति में नए बदलाव की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन, अब तक अब्दुल्ला ने अपने पिता से मुलाकात तक नहीं की है। यह स्थिति सपा और आजम खान के समर्थकों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
आजम खान के समर्थकों का मानना है कि अब्दुल्ला की रिहाई के बाद रामपुर की राजनीति में उनकी भूमिका फिर से सक्रिय हो सकती है। हालांकि, अब तक की गतिविधियों से यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि अब्दुल्ला आजम किस दिशा में कदम बढ़ाएंगे।
निष्कर्ष: आने वाले समय में क्या होगा?
आजम खान का परिवार एक समय रामपुर की राजनीति का केंद्र बिंदु हुआ करता था। लेकिन, अब उनकी अनुपस्थिति में स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। अब्दुल्ला आजम की रिहाई से रामपुर की राजनीति में नए बदलाव की उम्मीद की जा रही है, लेकिन अब तक की गतिविधियों से यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वे किस तरह की भूमिका निभाएंगे।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि आजम खान का परिवार रामपुर की राजनीति में अपनी खोई हुई पकड़ को वापस पाने में कितना सफल हो पाता है। फिलहाल, रामपुर की सियासत में आजम खान का साया धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है।