बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान, जो कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे मुखर विरोधी माने जाते थे, अब उन्हीं के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लड़ने को तैयार नजर आ रहे हैं।
नीतीश से मुलाकात के बाद बदला रुख
करीब दो सप्ताह पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच एक मुलाकात हुई थी, जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मुलाकात में बिहार के विकास, सीट शेयरिंग, और चुनाव में संभावित साझेदारी जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।

चिराग पासवान ने इससे पहले हर मंच पर JDU और नीतीश कुमार की आलोचना की थी और पिछली विधानसभा चुनावों में JDU के खिलाफ सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर JDU को तीसरे नंबर की पार्टी बना दिया था। लेकिन इस बार वे नीतीश कुमार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की तैयारी में हैं।
पार्टी कार्यकर्ताओं ने रखा चुनाव लड़ने का प्रस्ताव
रविवार को पटना में हुई पार्टी की कार्यकारिणी बैठक में चिराग पासवान को बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। पार्टी प्रवक्ता अरुण भारती ने कहा,
“बिहार को युवा नेतृत्व की ज़रूरत है और पार्टी कार्यकर्ता चाहते हैं कि चिराग पासवान राज्य की राजनीति में और अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं।”
बैठक में यह भी तय किया गया कि यदि चिराग चुनाव लड़ने के लिए तैयार होते हैं, तो उनके लिए दानापुर, हाजीपुर या पटना जैसी सीटों पर विचार किया जाएगा।
चिराग बोले – ‘मुझे अपने पिता का सपना साकार करना है’
बैठक के बाद चिराग पासवान ने कहा,
“मुझे ऐसा बिहार बनाना है जिसकी कल्पना मेरे पिता रामविलास पासवान ने की थी। ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ डॉक्यूमेंट में हर क्षेत्र का रोडमैप है और मेरी हमेशा से इच्छा थी कि मैं बिहार में सक्रिय रहूं।”
हालांकि जब उनसे पूछा गया कि क्या वे 2025 में विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, तो उन्होंने कहा
“यह निर्णय पूरी तरह मेरा नहीं हो सकता। पार्टी और गठबंधन को भी इसमें भूमिका निभानी है। अगर सर्वे और मंथन से पता चलता है कि मेरे चुनाव लड़ने से पार्टी और गठबंधन को फायदा होगा, तो मैं ज़रूर लड़ूंगा।”
जातीय समीकरणों में चिराग की भूमिका अहम
आइए एक नज़र डालते हैं बिहार की जातीय जनगणना के आंकड़ों पर…
बिहार की जातीय जनगणना | आंकड़े |
अति पिछड़ा वर्ग | 36.01% |
पिछड़ा वर्ग | 27.12% |
अनुसूचित जाति | 17.65% |
सवर्ण | 15.52% |
दलित समुदाय से आने वाले चिराग पासवान, इस जनसंख्या के बड़े हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे NDA के लिए उनका महत्व और बढ़ जाता है।
राजनीति या रणनीति?
चिराग पासवान का यह रुख बदलाव ‘पॉलिटिकल रियलिज़्म’ की मिसाल माना जा सकता है। सत्ता की राजनीति में यह कोई नई बात नहीं कि विरोध से समर्थन तक का सफर अचानक तय होता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह बदलाव राजनीतिक मजबूरी है या रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक।
निष्कर्ष:
क्या चिराग पासवान का विधानसभा चुनाव लड़ना NDA की जीत की कुंजी बन सकता है? ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के साथ मैदान में उतरने वाले चिराग, अब अगर नीतीश कुमार के साथ कदम मिलाते हैं, तो यह गठबंधन कई पुराने समीकरणों को तोड़ सकता है। जनता तय करेगी कि चिराग का यू-टर्न बिहार की राजनीति को नई दिशा देगा या सिर्फ एक और चुनावी चाल साबित होगा।