
New Delhi: आतंकवाद को अपनी राष्ट्रीय नीति बनाने वाले पाकिस्तान को इस वक्त शशि थरूर पूरी दुनिया में बेनक़ाब कर रहे हैं। पहलगाम में पाकिस्तान के भेजे आतंकियों ने धर्म पूछकर हिन्दुओं की हत्या की, जिसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने आतंकियों और उनके आका यानि की पाकिस्तानी सेना को सबक सिखाया। उसके बाद भारत ने तमाम दलों के सांसदों और नेताओं का दल पूरी दुनिया में भेजा। यही सभी दल हर देश में जाकर पाकिस्तान को बेनकाब कर रहे हैं। इसमें सबसे अहम भूमिका निभा रहे हैं कांग्रेस सांसद शशि थरूर। थरूर जितने प्रभावशाली तरीके से दुनियाभर के देशों में पाकिस्तान को नंगा कर रहे हैं, उतनी ही छटपटाहट और बेचनी उनकी पार्टी के कुछ नेताओं में देखने को मिल रही है। उदित राज, पवन खेड़ा जैसे कांग्रेस नेता तो थरूर को बीजेपी का प्रमुख प्रवक्ता तक करार दे रहे हैं। कांग्रेस नेताओं की तरफ से लगातार हो रहे हमले पर पहली बार शशि थरूर ने जवाब दिया है। उन्होंने साफ-साफ कह दिया है, जिसको जो बोलना है बोले, जिसको जो सोचना है सोचे, मेरे लिए राष्ट्र प्रथम है और मेरे खिलाफ बोलने वालों को जवाब देने के लिए मेरे पास वक्त नहीं है। तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर सकते हैं। लेकिन मेरे पास इन चीजों के लिए समय नहीं है, शुभरात्रि।
ये बयान है शशि थरूर का, कांग्रेस के दमदार सांसद, जो अपनी बेबाकी और तेजतर्रार शब्दों के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने भारत की आवाज़ को अमेरिका, पनामा और कोलंबिया जैसे देशों में बुलंद किया। आतंकवाद पर पाकिस्तान की पोल खोली, भारतीय सेना की बहादुरी को सराहा लेकिन ये बातें उनकी अपनी पार्टी कांग्रेस को नागवार गुज़र रही हैं। जहां प्रधानमंत्री मोदी भी शशि थरूर की तारीफ करते नहीं थकते, वहीं कांग्रेस के कुछ नेता उन्हें धोखेबाज करार दे रहे हैं। पार्टी के भीतर ही विरोध का सामना कर रहे हैं थरूर। क्योंकि उन्होंने आतंकियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की तारीफ कर दी। सवाल उठता है क्या सच बोलना कांग्रेस को गवारा नहीं? आखिर क्यों कांग्रेस शशि थरूर के देशभक्ति भरे शब्दों से इतनी बौखला गई है? क्या थरूर अब बीजेपी की राह पकड़ेंगे? या कांग्रेस को समझ आ जाएगा कि देश पहले आता है, राजनीति बाद में?
कांग्रेस सांसद शशि थरूर इन दिनों अपनी ही पार्टी के निशाने पर हैं। वजह साफ़ है थरूर ने अमेरिका, गुयाना, पनामा और कोलंबिया जैसे देशों में भारत की नीतियों और उपलब्धियों का बेबाकी से बचाव किया। वह एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे, और इस दौरान उन्होंने न सिर्फ भारत का पक्ष मजबूती से रखा, बल्कि आतंकवाद पर पाकिस्तान की पोल भी खोली। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा आतंक के ख़िलाफ़ मजबूती से खड़ा रहा है। उन्होंने हाल के उरी, पुलवामा और पहलगाम जैसे हमलों के बाद भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक को भी खुले तौर पर सराहा। यही बात कांग्रेस को खल गई। पार्टी के नेता उदित राज ने शशि थरूर पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें धोखेबाज तक करार दे डाला। उदित राज ने ट्वीट किया आखिर आप इतने धोखेबाज कैसे हो सकते हैं। आपको जिस पार्टी ने इतना कुछ दिया, उसी के ख़िलाफ़ कैसे जा सकते हैं? उन्होंने ये भी लिखा कि बेहतर होगा कि थरूर को भाजपा का सुपर प्रवक्ता बना दिया जाए या फिर विदेश मंत्री बना दिया जाए, क्योंकि वो बार-बार भाजपा की तारीफ कर रहे हैं। शशि थरूर ने इस आलोचना का संयमित लेकिन करारा जवाब दिया। उन्होंने एक्स पर लिखा मेरी कही बातों को आलोचक और ट्रोल्स अपने हिसाब से देख सकते हैं। वह तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर सकते हैं। लेकिन मेरे पास इन चीजों के लिए समय नहीं है। गुडनाइट। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी साफ़ किया कि उनकी तारीफ सेना के साहस और सरकार के कड़े जवाब को लेकर थी, जो हाल ही में हुए आतंकी हमलों के संदर्भ में थी। उन्होंने लिखा कि पहले की सरकारों ने आतंकी हमलों के जवाब में संयमित रुख़ अपनाया था और यही मेरी बात थी।
शशि थरूर का यह रुख़ दिखाता है कि वह राजनीति से ऊपर उठकर, भारत की छवि और भारतीय सेना के सम्मान को दुनिया के सामने रखने में विश्वास रखते हैं। कोलंबिया में दिए गए एक भाषण में भी उन्होंने साफ़ कर दिया कि आतंकियों के लिए कोई शोक नहीं जताया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें नैतिकता की परिभाषा ठीक से समझनी चाहिए और आतंकवाद के मामले में भारत का रुख़ हमेशा साफ़ रहा है आतंक का कोई धर्म नहीं होता और इसका कोई औचित्य नहीं होता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शशि थरूर के तार्किक और संतुलित विचारों की कई बार तारीफ कर चुके हैं। थरूर ने भी कहा था कि मोदी सरकार के कुछ फैसलों की उन्होंने खुले मन से सराहना की है, क्योंकि देशहित सबसे ऊपर है। यही वजह है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं को शंका सता रही है कि कहीं शशि थरूर भाजपा में न चले जाएं। शशि थरूर केरल से कई बार सांसद चुने गए हैं। अगर वह भाजपा में चले गए, तो कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक झटका लग सकता है। यह पूरा विवाद एक सवाल खड़ा करता है, क्या कांग्रेस में इतनी जगह नहीं कि कोई नेता देश के हित में सरकार और सेना की तारीफ कर सके? क्या सेना की बहादुरी की तारीफ को पार्टी विरोध मान लिया जाना चाहिए? शशि थरूर ने जो किया, वो एक सच्चे भारतीय की आवाज़ थी। जब वह विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, तब उन्होंने राजनीति को दरकिनार कर देश का मान बढ़ाने का काम किया। यही असल में भारत की छवि है जब बात देश की होती है, तो हर मतभेद भुला दिए जाते हैं। कांग्रेस को इस पूरे विवाद से सीख लेनी चाहिए कि देशभक्ति किसी पार्टी की जागीर नहीं। अगर शशि थरूर ने आतंकवाद पर सरकार की नीति को सही ठहराया और सेना को सलाम किया, तो यह पार्टी विरोध नहीं, बल्कि देश के सम्मान की बात है। आज जब दुनिया आतंकवाद के खिलाफ़ एकजुटता की बात करती है, तब भारत के नेता का ऐसा रुख़ देश की छवि को और मज़बूत करता है। कांग्रेस को यह समझना होगा कि सच्चाई और देशभक्ति पर सवाल खड़ा करना उसी की छवि को नुकसान पहुंचाएगा। शशि थरूर ने एक बार फिर दिखा दिया है कि भारत की आवाज़ बुलंद रहेगी, चाहे पार्टी में कोई कितना भी विरोध करे।