Home National News केजरीवाल सरकार पर वित्तीय जांच को लेकर दिल्ली विधानसभा में सियासी जंग
Vidhansabha scene showing Atishi (left) and CM Rekha Gupta's (right) cutouts during Delhi Assembly session

केजरीवाल सरकार पर वित्तीय जांच को लेकर दिल्ली विधानसभा में सियासी जंग

By ION Bharat Desk

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा की कार्यवाही एक बार फिर विवादों में घिर गई है, जहां विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और विपक्ष की नेता आतिशी के बीच वित्तीय जांच को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। इस विवाद का केंद्र बिंदु है सीएजी (महालेखा परीक्षक) की तीन रिपोर्टें, जिनमें दिल्ली सरकार की शराब आपूर्ति नीति, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था और वायु प्रदूषण को लेकर गंभीर अनियमितताओं के संकेत मिले हैं।

विपक्ष का आरोप है कि इन रिपोर्टों की जांच लोक लेखा समिति (PAC) नहीं कर सकती क्योंकि संशोधित GNCTD एक्ट के तहत विधानसभा की समितियों को प्रशासनिक फैसलों पर जांच से रोक दिया गया है। आतिशी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस मामले में लोक लेखा समिति की जांच को अवैध बताया है। उनका दावा है कि ये रिपोर्टें सीधे तौर पर नीतिगत फैसलों पर सवाल उठाती हैं, इसलिए इन्हें जांच के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए।

इसके जवाब में विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने विपक्ष के तर्कों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि लोक लेखा समिति विधानसभा का संवैधानिक अंग है और इसका कर्तव्य है कि वह वित्तीय अनियमितताओं की जांच करे। गुप्ता ने कहा कि चाहे मामला नीतिगत हो या प्रशासनिक, जब सरकारी धन का दुरुपयोग या नुकसान हो रहा हो, तो उसकी जांच लोक लेखा समिति द्वारा अवश्य होनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सीएजी रिपोर्टों (CAG) की जांच न केवल समिति का अधिकार है बल्कि उसकी जिम्मेदारी भी है।

इस पूरी बहस ने दिल्ली की जनता के बीच एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—क्या आम आदमी पार्टी इन रिपोर्टों की जांच से बचना चाहती है? सीएजी रिपोर्ट (CAG) में शराब नीति में भ्रष्टाचार, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में बदइंतजामी और वायु प्रदूषण के के लिए पूर्व केजरीवाल सरकार की नाकामी का उल्लेख है, जो सीधे तौर पर तत्तकालीन सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हैं।

राजनीतिक गलियारों में इस बहस को विधानसभा की प्रक्रिया का एक अहम मोड़ माना जा रहा है, जो न केवल वित्तीय पारदर्शिता की मांग करता है बल्कि जनता के अधिकारों और उनके करों के सही उपयोग की भी रक्षा करता है। अब देखना होगा कि इस मसले पर आगे विधानसभा में क्या कार्रवाई होती है और क्या दिल्ली सरकार में रही आम आदमी पार्टी (AAP) इस जांच का सामना करती है या फिर इसे टालने की कोशिश करती है।

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