Home World News Donald Trump ने भारत के क्रोध से पाकिस्तान को क्यों बचाया? कहीं यह डील तो नहीं है वजह

Donald Trump ने भारत के क्रोध से पाकिस्तान को क्यों बचाया? कहीं यह डील तो नहीं है वजह

By ION Bharat

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार यह दावा करते आ रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम में उनकी भूमिका है. सऊदी अरब यात्रा के दौरान भी वह युद्धविराम का क्रेडिट लेना नहीं भूले. वह पूरी दुनिया को बता रहे हैं कि भारत-पाक में शांति उनकी बदौलत हुई है. कई रिपोर्ट्स में भी दावा किया गया है कि पाकिस्तान के कहने पर डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से बात की और युद्धविराम पर सहमति बन सकी. भारत सरकार भले ही कह रही हो कि किसी ने मध्यस्थता नहीं की, लेकिन उसने अब तक ट्रंप के बयान को गलत भी नहीं कहा है.

नुकसान की थी आशंका
अब इस पूरे मामले में एक नई कहानी निकलकर सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान से जुड़े अपने परिवार के हित को ध्यान में रखते हुए ही दोनों देशों के बीच युद्धविराम पर जोर दिया. दरअसल, पाकिस्तान ने हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) के साथ महत्वपूर्ण समझौता किया है. इस कंपनी में ट्रंप के परिवार की करीब 60% हिस्सेदारी है. अगर भारत-पाकिस्तान युद्ध में उलझते, तो निश्चित तौर पर पाकिस्तान की बर्बादी तय थी और ऐसे में ट्रंप के परिवार को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता था.

हाल ही में साइन हुई डील
इस खबर के सामने आने के बाद यह सवाल खड़ा हुआ है कि क्या डोनाल्ड ट्रंप ने अपने परिवार के लाभ को ध्यान में रखते हुए भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कराई? पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल और WLF के बीच कुछ वक्त पहले ही यह डील साइन हुई है. इस काउंसिल ने दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज बाइनेंस के फाउंडर एवं CEO चांगपेंग झाओ को अपना सलाहकार नियुक्त किया है. काउंसिल का उद्देश्य पाकिस्तान को दक्षिण एशिया की क्रिप्टो कैपिटल बनाना है. TOI की रिपोर्ट के अनुसार, क्रिप्टो काउंसिल महज एक महीने पुरानी है, फिर भी WLF के प्रतिनिधिमंडल में बड़ी हस्तियां डील फाइनल करने के लिए पाकिस्तान पहुंचीं. इसमें ट्रंप के करीबी स्टीव विटकॉफ के बेटे जैकरी विटकॉफ प्रमुख थे. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर जैकरी के सम्मान में खड़े रहे.

कंपनी में कौन है शामिल?
वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF)में ट्रंप के बेटे एरिक और डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के साथ-साथ उनके दामाद जैरेड कुश्नर भी हिस्सेदार हैं. यह आरोप लगते रहे हैं कि तीनों व्हाइट हाउस के रसूख का इस्तेमाल करके दुनिया भर में अपने लिए फायदे के सौदे की तलाश में रहते हैं. विटकॉफ न्यूयॉर्क के बड़े रियल एस्टेट अरबपति माने जाते हैं. वह ट्रंप के मार-ए-लागो रिसॉर्ट के नियमित सदस्य भी हैं. बताया जाता है कि इजरायल, यूएई और बहरीन के बीच अब्राहम समझौता कराने में विटकॉफ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो ट्रंप के पहले कार्यकाल की बड़ी कूटनीतिक उपलब्धियों में से एक है. अब ट्रंप ने उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध सुलझाने की जिम्मेदारी सौंपी है.

नीति से हटकर एक्शन
भारत-पाकिस्तान के मामले में डोनाल्ड ट्रंप का ‘हैंड्स-ऑफ’ नीति से हटकर एकदम से मध्यस्थ की भूमिका में आना कई सवाल खड़ा करता है. उन्होंने कश्मीर पर भी मध्यस्थता की बात कही. हालांकि, बाद में उस पोस्ट को सोशल मीडिया से डिलीट कर दिया. इसे लेकर अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान के साथ ट्रंप परिवार की क्रिप्टो डील के बदले में ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत-पाक युद्धविराम पर जोर दिया? ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान को बड़ा नुकसान पहुंचा रहा था. इसी बीच ट्रंप एक्टिव हुए और कथित तौर पर मध्यस्थता करा दी.

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