Home National News Explained: क्या है सियासी भूचाल लाने वाला पोल्लाची यौन उत्पीड़न केस, कैसे फूटा पाप का घड़ा?

Explained: क्या है सियासी भूचाल लाने वाला पोल्लाची यौन उत्पीड़न केस, कैसे फूटा पाप का घड़ा?

by ION Bharat

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लव-जिहाद का मामला देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस बीच, तमिलनाडु के कोयंबटूर की अदालत ने पोल्लाची यौन उत्पीड़न और जबरन वसूली मामले में नौ लोगों को मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोयंबटूर मामला भले ही लव-जिहाद न हो, लेकिन आरोपियों की करतूतें बहुत हद तक मिलती-जुलती हैं. एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोयंबटूर की पीड़ित महिलाओं को अब जाकर इंसाफ मिला है.

ऐसे बनाते थे शिकार
कोयंबटूर जिले के शांत माने जाने वाले शहर पोल्लाची में युवकों के एक समूह ने 2016 से 2018 तक कई महिलाओं को हवस का शिकार बनाया. उन्होंने सोशल मीडिया पर कॉलेज की छात्राओं और शादीशुदा महिलाओं को अपने जाल में फंसाया और फिर ब्लैकमेल करके उनका यौन शोषण किया. आरोपी गैंग महिलाओं को नकली प्रोफाइल, जो अक्सर महिलाओं के नाम पर ही होता था, से अपने जाल में फंसाता है. जब आरोपी और पीड़िता के बीच दोस्ती हो जाती, तो उन्हें मिलने के लिए बुलाते. यहीं से पूरा खेल शुरू होता था.

बार-बार होता था शोषण
जब पीड़िता आरोपी के बताए स्थान पर पहुंचती, तो उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया जाता और पूरी वारदात को कैमरे में कैद कर लिया जाता. चलती कार या अन्नामलाई के पास स्थित एक फार्महाउस में इस तरह की वारदातों को अंजाम दिया जाता था. बाद में महिलाओं को वीडियो फुटेज के आधार पर ब्लैकमेल किया जाता. इस तरह, उनका बार-बार शोषण होता और जबरन पैसे वसूले जाते. आरोपी पीड़िताओं को इस कदर डरा देते कि वे चाहकर भी किसी के सामने मुंह नहीं खोल पातीं. लेकिन कहते हैं कि पाप का घड़ा एक न एक दिन भरता ज़रूर है और इस मामले में भी ऐसा ही हुआ.

ऐसे सामने आई करतूत
24 फरवरी, 2019 को एक 19 साल की छात्रा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. उसने आरोप लगाया कि 12 फरवरी को पोल्लाची के पास चलती कार में चार लोगों ने उसका रेप किया. यहां से पूरी कहानी पलट गई, पुलिस ने छात्रा की शिनाख्त पर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. जब मामले की गहराई से जांच की गई, तो पता चला कि आरोपियों ने कई महिलाओं और युवतियों को शिकार बनाया है. पुलिस ने आरोपियों से मोबाइल फोन और लैपटॉप बरामद किए. मोबाइल-लैपटॉप से आरोपियों का एक क्रूर और हैवान चेहरा दुनिया के सामने आया. पुलिस को लैपटॉप और मोबाइल में कई महिलाओं के आपत्तिजनक वीडियो मिले.

सीबीआई को सौंपना पड़ा मामला
आरोपियों का शिकार बनने वालों में कॉलेज छात्राएं, टीचर, पेशेवर और यहां तक ​​कि स्कूली छात्राएं भी थीं. आरोपियों पर करीब 50 से ज्यादा महिलाओं के यौन उत्पीड़न का शक था, लेकिन उनमें से केवल 8 ने ही उनके खिलाफ गवाही दी थी. प्रारंभिक जांच स्थानीय पुलिस द्वारा की गई, लेकिन बड़े पैमाने पर सार्वजनिक आक्रोश और विरोध के बाद, तत्कालीन AIADMK सरकार ने 12 मार्च, 2019 को मामले को सीबी-सीआईडी ​​को और उसके बाद 25 अप्रैल, 2019 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया गया. इस केस में अंतिम आरोपपत्र मई 2019 में दायर किया गया था.

बयान से नहीं पलटे गवाह
इस मामले ने तमिलनाडु में सियासी भूचाल ला दिया. मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने कोयंबटूर संयुक्त न्यायालय परिसर के अंदर एक विशेष अदालत में सुनवाई का आदेश दिया. फरवरी 2023 में ही मुकदमे की कार्यवाही शुरू हुई. पीड़िताओं और गवाहों की पहचान छिपाए रखने के लिए अदालत में खास तरह के विटनेस बॉक्स बनाए गए. जांच के दौरान करीब 48 गवाहों से पूछताछ की गई और उनमें से कोई भी अपने बयान से पलटा नहीं. इससे केस को मजबूती मिली. अदालत में 200 से ज्यादा दस्तावेज और 400 डिजिटल सबूत पेश किए गए, जिनमें फॉरेंसिक जांच वाले वीडियो भी शामिल रहे.

काम नहीं आई दलील
पीड़ित महिलाओं ने बताया कि आरोपी उन्हें लगातार डराते -धमकाते थे. वह कहते थे कि अगर उनकी बात नहीं मानी तो उनके वीडियो परिवार और रिश्तेदारों को लीक कर देंगे. आरोपियों ने अपनी कम उम्र और बुजुर्ग माता-पिता का हवाला देते हुए सजा में नरमी की मांग की, लेकिन अदालत ने कोई नरमी नहीं बरती. सीबीआई ने आरोपियों के लिए कम से कम आजीवन कारावास की सजा और पीड़ित महिलाओं के लिए मुआवजा भी मांगा था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.

सत्ताधारी पार्टी से था नाता
यह मामला 2019 के आम चुनावों से कुछ सप्ताह पहले ही सामने आया था, इस वजह से राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपियों में से दो – अरुलानंदम और ए नागराज (K Arulanandham & A Nagaraj) सत्ताधारी पार्टी AIADMK के पदाधिकारी थे. अरुलानंदम पोल्लाची शहर के छात्र विंग का सचिव था, जबकि नागराज AIADMK की युवा शाखा से जुड़ा था. हालांकि, गिरफ़्तारी के बाद दोनों को पार्टी से निकाल दिया गया. उस समय विपक्षी DMK ने सत्तारूढ़ AIADMK पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया और कहा कि पार्टी नेताओं से आरोपियों के नजदीकी संबंध हैं. विवाद तब और बढ़ गया जब तमिलनाडु गृह विभाग ने मामले को सीबीआई को सौंपने के आदेश में पीड़िता, उसके कॉलेज और उसके भाई का नाम उजागर कर दिया. इसे लेकर सरकार की खूब आलोचना हुई.

देना होगा मुआवजा
मंगलवार 13 मई को न्यायालय ने सभी नौ आरोपियों को आईपीसी की कई धाराओं के तहत दोषी पाया, जिसमें 376D (सामूहिक बलात्कार) और 376(2)(N) (एक ही महिला से बार-बार बलात्कार), आपराधिक धमकी और साजिश शामिल हैं. न्यायालय ने उन्हें मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई और आठ पीड़ितों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से 85 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया. प्रत्येक दोषी पर जुर्माना भी लगाया गया है. वहीं, भोपाल के लव-जिहाद के मामले में भी आरोपी इसी तरह युवतियों को ब्लैकमेल करते थे. फिलहाल सभी सलाखों के पीछे हैं.

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