Home National News मां का हर काम में बंटाया हाथ…खाना पकाने से परोसने तक सब किया, आज देश के चीफ जस्टिस हैं BR Gavai

मां का हर काम में बंटाया हाथ…खाना पकाने से परोसने तक सब किया, आज देश के चीफ जस्टिस हैं BR Gavai

by ION Bharat

देश के अगले प्रधान न्यायाधीश (CJI) के तौर पर जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई आज कार्यभार संभालेंगे. वह जस्टिस संजीव खन्ना की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो गया है. जस्टिस खन्ना ने ही अगले सीजेआई के रूप में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई के नाम की सिफारिश की थी. इसके बाद 30 अप्रैल को कानून मंत्रालय द्वारा जस्टिस गवई की भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गई. CJI के तौर पर जस्टिस गवई का कार्यकाल करीब सात महीने का होगा, वह 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे.

अमरावती में हुआ जन्म
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे हैं. वह देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं. जस्टिस गवई से पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन 2007 में देश के पहले दलित सीजेआई बने थे. जस्टिस बीआर गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ और उन्होंने 1985 में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की. उच्चतम न्यायालय की वरिष्ठता सूची में जस्टिस गवई का नाम सबसे ऊपर है, इसलिए जस्टिस खन्ना ने CJI के रूप में उनके नाम की सिफारिश की थी.

ऐसा रहा है करियर
जस्टिस गवई ने 1987 तक बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व एडवोकेट जनरल और जज राजा एस भोंसले के साथ काम किया. 1990 के बाद उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस की. इस दौरान वह नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील भी रहे. अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक उन्हें बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक नियुक्त किया गया. 14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. 12 नवंबर 2005 को जस्टिस गवई उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बनाए गए. 24 मई 2019 को वह उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनाए गए और अब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का पदभार संभाल रहे हैं.

संविधान पीठ का रहे हिस्सा
जस्टिस बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट की कई संविधान पीठ का हिस्सा रहे और कई ऐतिहासिक फैसलों का गवाह बने. वह पांच जजों की उस संविधान पीठ में शामिल थे, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा. जस्टिस गवई पांच न्यायाधीशों की उस पीठ का भी हिस्सा रहे, जिसने राजनीतिक फंडिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द किया. इसी तरह, नोटबंदी के पक्ष में फैसला सुनाने वाली पीठ में भी शामिल थे. पिछले साल जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने बुलडोजर एक्शन पर नाराजगी जताई थी. बेंच ने कहा था कि केवल आरोपी या दोषी होने के आधार पर किसी की संपत्ति को ध्वस्त करना असंवैधानिक है. कार्रवाई बिना कानूनी प्रक्रिया के नहीं कर सकते, ऐसा होता है तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होगा.

जब कांग्रेस से रिश्ते का दिया हवाला
राहुल गांधी पर आपराधिक मानहानि वाले मामले की सुनवाई से जस्टिस गवई ने हटने की पेशकश की थी. 21 जुलाई 2023 को सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई कहा कि मेरी तरफ से इस मामले में थोड़ी समस्या है. मेरे पिता 40 सालों तक कांग्रेस से जुड़े थे. हालांकि, वह कांग्रेस के सदस्य नहीं थे लेकिन उनकी सहायता से राज्यसभा और लोकसभा पहुंचे थे. मेरा भाई भी कांग्रेस से जुड़ा हुआ है. अब आप सब तय करें कि क्या मुझे इस मामले की सुनवाई करनी चाहिए? इस मामले में दोनों पक्षों की सहमति के बाद जस्टिस गवई ने जस्टिस पीके मिश्रा के साथ पूरे केस की सुनवाई की. यह मामला मोदी सरनेम से जुड़ा था.

मां के दुलारे हैं जस्टिस गवाई
अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े जस्टिस गवई घर के कामकाज में मां का हाथ बंटाया करते थे. उनकी मां कमलताई के अनुसार, भूषण रामकृष्ण गवई खाना पकाने, बर्तन धोने, खाना परोसने और खेती के कामकाज में भी उनकी मदद किया करते थे. बता दें कि जस्टिस बीआर गवई के पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के संस्थापक थे. वह साल 2006 से 2011 के बीच बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल भी रहे.

You may also like

Copyright ©️ | Atharvi Multimedia Productions Pvt. Ltd. All Rights Reserved