Home Breaking News Sambhal में नहीं लगेगा ‘नेजा मेला’, प्रशासन ने नहीं दी मंजूरी

Sambhal में नहीं लगेगा ‘नेजा मेला’, प्रशासन ने नहीं दी मंजूरी

by ION Bharat Desk

संभल, उत्तर प्रदेश में हर साल होली के बाद पहले मंगलवार को नेजा मेला लगता था। यह मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित किया जाता था, जो एक विवादित ऐतिहासिक व्यक्ति था। गाजी ने भारत में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और लूटपाट की थी, जिसके कारण इस मेले को लेकर बड़ा विवाद रहा है। इस साल प्रशासन ने इस मेले पर रोक लगा दी है, जिससे यह मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। आइए, जानते हैं इस मेले का इतिहास और इससे जुड़े विवाद के बारे में।

नेजा मेला क्या है?

संभल, उत्तर प्रदेश में हर साल होली के बाद पहले मंगलवार को नेजा मेला लगता था। यह मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित किया जाता था। सालार गाजी को इतिहास में एक विवादित व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। वह महमूद गजनवी का भांजा और सेनापति था, जिसने भारत में कई हिंदू मंदिरों को लूटा और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की।

नेजा मेले का इतिहास

इतिहास के अनुसार, सालार गाजी ने 11वीं शताब्दी में भारत पर हमले किए और सोमनाथ मंदिर सहित कई मंदिरों को नुकसान पहुंचाया। उसे श्रावस्ती के राजा सुहेलदेव ने युद्ध में हराकर मार डाला था। संभल में गाजी और उसके साथियों की मजार हैं, जहां यह मेला आयोजित होता था।

विवाद क्यों है?

नेजा मेले को लेकर बड़ा विवाद यह है कि इसे एक ऐसे व्यक्ति की याद में मनाया जाता था, जिसने हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और लूटपाट की थी। कई लोगों का मानना है कि इस तरह के मेले का आयोजन हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। यह मेला हिंदुओं के लिए दर्दनाक इतिहास को याद दिलाता है, जिसमें उनके मंदिरों को लूटा गया और उनका कत्लेआम हुआ।

प्रशासन ने क्यों रोका मेला?

इस साल, उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन ने नेजा मेले के आयोजन पर रोक लगा दी है। एडिशनल एसपी श्रीशचंद्र ने साफ कहा कि सोमनाथ मंदिर को लूटने वाले और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा करने वाले व्यक्ति की याद में मेला आयोजित करना गलत है। उन्होंने कहा कि अब ऐसे आयोजनों की इजाजत नहीं दी जाएगी।

लोगों की प्रतिक्रिया

नेजा मेले पर रोक लगाने के फैसले का कुछ लोगों ने समर्थन किया है, तो कुछ ने विरोध भी जताया है। जो लोग इसके पक्ष में हैं, उनका मानना है कि यह मेला हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि यह मेला सदियों से चला आ रहा है और इसे बंद नहीं किया जाना चाहिए।

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