अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह के खिलाफ एसीबी की कार्रवाई: क्या ईमानदारी का मुखौटा उतर चुका है?

एंटी करप्शन ब्यूरो के सामने खड़े सवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके करीबी सहयोगी संजय सिंह इन दिनों गंभीर आरोपों के घेरे में हैं। दिल्ली एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। यह मामला 15 करोड़ रुपये के ऑफर के आरोप से जुड़ा है, जिसे केजरीवाल और संजय सिंह ने भाजपा पर लगाया था। लेकिन अब यह आरोप उन्हीं के लिए सिरदर्द बन गया है।

क्या था पूरा मामला?

7 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से एक दिन पहले, अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह ने दावा किया कि भाजपा उनके विधायकों और उम्मीदवारों को फोन करके 15-15 करोड़ रुपये का ऑफर दे रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा उनके विधायकों को खरीदना चाहती है। इसके बाद भाजपा ने दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) वीके सक्सेना को पत्र लिखकर इस मामले की जांच की मांग की।

एंटी करप्शन ब्यूरो ने उठाए सवाल

LG ने इस मामले की जांच का जिम्मा एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को सौंपा। ACB ने अरविंद केजरीवाल को नोटिस जारी करके 16 विधायकों की जानकारी मांगी, जिन्हें भाजपा ने पैसे का ऑफर दिया था। साथ ही, ACB ने उन फोन नंबरों की जानकारी भी मांगी, जिनसे विधायकों को कॉल आए थे। इसके अलावा, आरोपों से जुड़े सबूत भी पेश करने को कहा गया ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।

केजरीवाल ने क्यों नहीं दिया जवाब?

ACB के नोटिस के बावजूद, अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। यह सवाल उठना लाजमी है कि अगर केजरीवाल के पास सबूत थे, तो उन्होंने ACB को जवाब क्यों नहीं दिया? क्या यह आरोप सिर्फ एक प्रोपेगेंडा था? LG ने सीधे तौर पर कहा है कि यह आरोप गलत हैं और केजरीवाल के पास कोई सबूत नहीं है।

भाजपा ने खारिज किए आरोप

दूसरी ओर, भाजपा ने केजरीवाल के सारे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। भाजपा का कहना है कि यह आरोप बिना किसी सबूत के लगाए गए हैं और इनका मकसद सिर्फ चुनाव से पहले भ्रम फैलाना था। ACB ने AAP से जवाब न मिलने पर अब दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर इन नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश करने का फैसला किया है।

हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप क्या है?

अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया था। हॉर्स ट्रेडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो पार्टियां गुप्त रूप से आपस में सौदेबाजी करती हैं और दोनों का फायदा होता है। केजरीवाल का आरोप था कि भाजपा उनके विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है। लेकिन अब जब ACB ने सबूत मांगे हैं, तो केजरीवाल चुप क्यों हैं?

केजरीवाल पर दर्ज हैं 15 मुकदमे

यहां एक और बात गौर करने वाली है। अरविंद केजरीवाल पर खुद 15 मुकदमे दर्ज हैं। ऐसे में, जब वह दूसरों पर आरोप लगाते हैं, तो उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठना स्वाभाविक है। क्या यह सिर्फ एक तरकीब है ताकि लोगों का ध्यान उनके खिलाफ चल रहे मुकदमों से हट जाए?

क्या ईमानदारी का मुखौटा उतर चुका है?

अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी AAP ने हमेशा खुद को ईमानदार और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाली पार्टी के रूप में पेश किया है। लेकिन अब जब ACB ने उनसे सवाल किए हैं, तो वे जवाब देने से कतरा रहे हैं। क्या यह इस बात का संकेत है कि उनकी ईमानदारी का मुखौटा उतर चुका है? क्या उनके दावे सिर्फ झूठ और प्रोपेगेंडा थे?

जनता का भरोसा टूटा?

जनता ने अरविंद केजरीवाल और AAP पर भरोसा किया और उन्हें सत्ता सौंपी। लेकिन अब जब घोटालों और झूठे आरोपों के आरोप लग रहे हैं, तो जनता का भरोसा डगमगा गया है। क्या केजरीवाल और संजय सिंह अब कानून के शिकंजे से बच पाएंगे? या फिर उनके लिए जेल की सलाखें तैयार हैं?

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